जागृत उपहार।

कद-काठी में बड़े छोटे से,

नहीं था  कोई कमी कहीं,

उनमें  भरपूर था देश के लिए,

खूब मान व  सम्मान।

राष्ट्रीयता को जागृत कर,

मां भारती की बढ़ा दीं थीं उन्होंने,

अद्भुत  आन ,बान और शान।

गुणों से भरपूर थे ,

पहल करने की कला  था अपूर्व,

उमंग और उत्साह से,

भरपूर था पूरा जीवन काल।

आकर्षण और उन्नत संस्कार,

अद्भुत और प्रेरणादाई था,

संस्कृति को आगे बढ़ाने की,

रखतें थे सबमें सर्वोत्तम बनकर,

देश के एक सर्वोत्तम महाकाल।

प्रगति और  विकास था जिसमें,

खूबसूरत एवं विशालकाय,

एक खूबसूरत व सर्वोत्तम  पहचान

कुशलता के गुणों से रहते थे सदैव भावविभोर ,

हम सबको था अभिमान।

अविस्मरणीय   सन्देश  के थे श्रेष्ठ श्रंगार,

हरपल    यह दिखता  रहता था उनमें,

उत्साहित मन और देश के लिए,

खूब हृदय से अटूट विश्वास संग प्यार ।

हरपल  रहते थे उत्साहित अन्तर्मन से,

देश था जिनके मन में मानों  एक समन्दर।

राजनीति में आज़ भी वे कहलाते हैं,

एक निर्भीक सिपाही और धुरंधर ।

भारतीयता को जिन्होंने दिल में बिठाया,

वैश्विक ताकत बनकर पूरे विश्व में,

हमेशा भारत का परचम फहराया।

भारतीय संस्कृति को देते रहे सदैव बढ़ावा ,

जागृत करने में देश के हितों को लेकर,

करते रहे सदैव सम्बल प्रयास ।

जिम्मेदारी से भारत को आगे बढ़ाने में उनके क़दम का,

हमें आज़ भी दिखता है अहसास।

जय जवान जय किसान था उनका,

एक उत्कृष्ट व प्रखर विचार ।

आर्यावर्त भरतखण्ड की संस्कृति को,

सदैव करते रहे यहां  गुलजार ।

नतमस्तक नहीं हुई यह तस्वीर,

वैश्विक स्तर पर उन्होंने  अपने अटूट विश्वास व,

उत्साहित शौर्य और पराक्रम से,

वैश्विक स्तर पर खूब ऊधम  मचाएं।

उनकी उन्नत प्रयास और प्रयोग ने,

देश और दुनिया में भारतीय संस्कृति का,

शिखर पर उसने लगातार खूब नाम फैलाएं।

डॉ० अशोक, पटना, बिहार।