बैतूल विधानसभा में दो पाटो के बीचकांग्रेस के निलय डागा और भाजपा के हेमंत खण्डेलवाल

एक बार फिर 2018 के योद्धा एक दुसरे के सामने, हार जीत का निर्णय करेगी लाड़ली बहना

बैतूल। (मध्यप्रदेश)  इस बार होने 17 नवम्बर को होने जा रहे मध्यप्रदेश की विधानसभा के चुनाव में 131 बैतूल विधानसभा क्षेत्र के 2 लाख 55 हजार 15 मतदाता जिसमें 1 लाख 29 हजार 194 प़ुरूष एवं 1 लाख 25 हजार 811 महिला तथा 10 अन्य मतदाता 297 मतदान केन्द्रो पर मतदान करने जा रहे है। इस बार होने जा रहे प्रमुख मुकाबले में बीते विधानसभा चुनाव 2018 केे मुख्य प्रतिद्धंदी कांग्रेस के निलय विनोद डागा एवं भाजपा के हेंमत विजय खण्डेलवाल एक दुसरे के आमने - सामने होगें।

 इस बार का चुनाव कुंबी समाज को टिकट न देने के चलते भाजपा के खिलाफ फैले असंतोष की लहर से अछुता रहेगा क्योकि इस बार पार्टी ने मुलताई से कुंबी समाज के चन्द्रशेखर देशमुख को मैदान में उतारा है। इस बार कांग्रेस और भाजपा की हार जीत में निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में आदिवासी वोटर्स की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इस बार के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी गोंगापा और भारतीय गोंडवाना पार्टी भागोपा तथा जयस जैसे आदिवासी समाज के जय युवा शक्तिसंगठन के मैदान में आने का लाभ भाजपा और कांग्रेस को नुकसान होता दिखाई दे रहा है।

 इस बार के चुनाव में बैतूल विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी, कुंबी के बाद सबसे अधिक संख्या में निवासरत पंवार समाज के मतदाता भी हार - जीत के परिणाम को बदलने का दम खम रखते है। बैतूल विधानसभा क्षेत्र में पंवार जाति के एक दर्जन ऐसे गांव है जहां पंवार की संख्या अन्य समाज से ज्यादा है। ऐसे में पंवार समाज को साधना दोनो राजनैतिक दलो की अपनी मजबुरी हो सकती है।

 पड़ौसी महाराष्ट्र की सीमा से लगे बैतूल जिले की बैतूल विधानसभा क्षेत्र है अपने चारो ओर से मुलताई - भैसदेही, घोड़ाडोंगरी और सारणी - आमला विधानसभा क्षेत्र से घिरी हुई है। बैतूल एवं मुलताई को छोड़ कर 3 अन्य विधानसभा क्षेत्र आरक्षित है। पिछले विधानसभा चुनाव यानी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बैतूल विधानसभा क्षेत्र में कुल मिलाकर 2 लाख 33 हजार 506 मतदाता थे, जिन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी निलय विनोद डागा को 96 हजार 717 वोट देकर जिताया था। 

उधर बीजेपी उम्मीदवार हेमंत विजय खंडेलवाल को 75 हजार 072 वोट लेकर दुसरे स्थान पर रहे। हार जीत का अंतर 21 हजार 645 वोटों का रहा। जिसमें सबसे अधिक वोटर्स कुुंबी समाज के थे जो समाज को टिकट न देने से बेहद खफा हो गए थे। पूर्व में 2013 में बैतूल विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी हेमंत विजय खंडेलवाल को जीत हासिल हुई थी, और उन्होंने 82 हजार 949 वोट हासिल किए थे, इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार हेमंत वागद्रे को 58 हजार 602 वोट मिल सके थेए और वह 24 हजार 347 वोटों के अंतर से दूसरे स्थान पर रहे थे। 

इससे पहले वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी पार्टी के प्रत्याशी अलकेश आर्य ने कुल 57 हजार 957 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी, और कांग्रेस उम्मीदवार विनोद डागा दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 52 हजार 566 मतदाताओं का समर्थन हासिल हो सका था। और वह मात्र 5 हजार 391 वोटों के अंतर से विधानसभा चुनाव हार गए थे। इस बार के चुनाव में कांग्रेस एवं भाजपा के दोंनो प्रतिद्धंदी करोड़पति अरबपतियों में गिने जाते है। इस बार के चुनाव में बाहुबल एवं धनबल का अच्छा खासा प्रदर्शन होने वाला है।

 पिछली बार की हार से सबक लेकर इस बार कुछ अच्छा कर गुजरने की मंशा से हेमंत खण्डेलवाल अपने चिर परीचित अंदाज में जनसंपर्क पर निकल चुके है। उनका गांव - गांव में जनसपंर्क अभियान त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के समय से स्थानीय निकायो के चुनाव से लेकर खबर लिखे जाने तक जारी है। कांग्रेस के प्रत्याशी की सबसे कमजोर कड़ी उनके अपने सिपाह सलाहकार है जो पूरे पांच साल तक विधायक के दाये - बाये बन कर अपनी हरकतो से आम मतदाता से लेक पार्टी संगठन की परेशानी का सबक बने रहे। इस बार का चुनाव दिपावली के ठीक दो दिन बाद 17 नवम्बर 2023 को होने वाला है।

 ऐसे में 3 दिसम्बर 2023 को आने वाले परिणाम साबित करेगें कि भाग्य लक्ष्मी ने इस बार किसका साथ दिया और किससे रूठ कर चली गई। इस बार के विधानसभा चुनाव के परिणाम को प्रदेश के मुख्यमंत्री की लाड़ली बहना योजना भी प्रभावित करेगी। वर्तमान में बैतूल विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 25 हजार 811 महिलाओ में  60 हजार से पात्रता धारक लाड़ली बहना है जो चुनाव परिणामो पर असर डालेगी।