सैलाब से बाहर निकलने के लिए दिल नहीं दिमाग़ चाहिए

सैलाब से बाहर निकलने के लिए दिल नहीं दिमाग़ चाहिए,

बड़ी बड़ी बातों को साकार करने के लिए किरदार बेदाग चाहिए।


खुद को समझा दें, ज़रूरी नहीं कि पूरी ही हों हर हसरतें,

नैय्या पार कैसे करूं, तुझ तक पहुंचने के लिए सुभाग चाहिए।


दिखावा चाहे हो कितना, असलियत सामने आ ही जाती है,

जीने के लिए  रोटी, कपड़ा और रहने के लिए भूभाग चाहिए।


प्रेम, स्नेह,त्याग, धैर्य और हिम्मत, इन्सान में ये गुण ज़रूरी है,

हर फूल पुष्पित होने के बाद, भंवरे के लिए भी पराग चाहिए।


प्राकृतिक मनोहारी दृश्य देख, हर कोई होता प्रसन्नचित्त यहां

ज़िन्दगी का लुत्फ़ उठाना हो तो, संगीत का भी विहाग चाहिए। 


 हैं इस देश में अच्छे और बुरे भी, कुख्यात और विख्यात भी

"सुमन" कहे सारे पाप पुण्य में बदलने के लिए प्रयाग चाहिए।


सुमंगला सुमन

मुंबई, महाराष्ट्र