ए बाबू ! जीएसटी चोरी से बच के रहिएगा ! मॉडर्न डाटा एनालिटिक टूल्स से टैक्स चोरी पकड़ कर गिरफ्तारी होगी

देश भर में सक्रिय जीएसटी टैक्स चोरी सिंडिकेट के मास्टरमाइंडों की धार पकड़ के प्रयास तेज़

जीएसटी टैक्स चोरी अक्सर, जानकार भोले भाले व्यक्तियों को नौकरी कमीशन बैंक ऋण देकर केवाईसी दस्तावेज से फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट से टैक्स चोरी आम बात - एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर विकसित देशों सहित अनेक देशों में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का सिस्टम लागू है। भारत में भी लंबी अवधि के कई वर्षों की जद्दोजहद के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाकर वर्ष 2017 में देर रात्रि जीएसटी विधायक को कानूनी रूप दिया गया था, जो कानून बनकर लागू हुआ था, उसमें जीएसटी काउंसिल का प्रयोजन भी किया गया था जिसकीअध्यक्ष केंद्रीय वित्तमंत्री और अन्यसदस्यों में सभी राज्यों, केंद्र शासितप्रदेशों के वित्तमंत्री अधिकृत अधिकारी सहित अनेक विशेषज्ञ लोग इसके मेंबर होंगे, जिनकी सभा लेकर समय व परिस्थितियों के अनुसार धाराओं को चेंज कर उसमें संशोधन किया जा सकता है जीएसटी दर को भी चेंज किया जा सकता है। 

अब तक शनिवार दिनांक 7 अक्टूबर 2023 को जीएसटी काउंसिल की 52वीं बैठक को हमने देखे हैं। परंतु यह सर्वविदित है कि भारतीय बौद्धिक क्षमता इनकी सुदृढ़ है कि, किसी भी कानून का तोड़ निकाल ही लेते हैं, फिर सरकार उस कानून के लीकेजेस को देखते हुए संशोधन करती है। लेकिन अभी 2 दिन पहले जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशक ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के सितंबर 2023 तक के आंकड़े जारी कर कहा कि अब तक 1.36 लाख करोड़ की जीएसटी चोरी का पता लगाया गया है तथा इतने बड़े फ्रॉड को रेखांकित किया गया है, जिसे पकड़ने मॉडरेट एनालिटिक टूल्स का प्रयोग किया गया जिसे यह सुलझाना और टैक्स चोरों कोगिरफ्तार करने में सहायक साबित हुआ है।

मेरा मानना है किजीएसटी की मामूली चोरी को छोड़ दें तो 1.36 लाख करोड रुपए की इतनीं बड़ी जीएसटी चोरी बिना ऊपर के आशीर्वाद से और मिलीभगत से नहीं की जा सकती, जिसमें अकाउंटेंट से लेकर भिन्न लेवल के टैक्स विशेषज्ञों के शामिल होने से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि बिना उनके मिलीभगत से इतनी बड़ी चोरी संभव नहीं है या फिर हम कर सकते हैं कि संबंधित अधिकारियों को इस चोरी के गलियारे का पता लगाने की बौद्धिक क्षमता नहीं है तो उसे वॉलंटरी रिटायरमेंट देने पर विचार करने की जरूरत है, क्योंकि चोरी को सख्त्ती के बल पर रोका जा सकता है जो राष्ट्र के विकास में जरूरी है।

 चूंकि वित्त मंत्रालय ने 1.36 लाख करोड़ कि जीएसटी,  मात्र चालू वित्त वर्ष में बताई गई है तो इसके पीछे अभी शायद कहीं गुना होगी जो पकड़ में नहीं आ रही होगी या फिर मिली भगत वाला बैंड बाजा भी हो सकता है, क्योंकि सुर ताल से ही संगीत की सफलता होती है,यह अधिकारियों और करचोरों के बीच होता है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से, इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगेजीएसटी चोरी अक्सर परिचित भोले भाले व्यक्तियों को नौकरी कमीशन बैंक ऋण का प्रलोभन देखकर वाईसी दस्तावेज से फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट से करना आम बात है। 

साथियों बात अगर हम वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी से जीएसटी चोरी संबंधी डाटा की करें तो,माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के आसूचना अधिकारियों ने चालू वित्त वर्ष में अब तक 1.36 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी।

 मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कर चोरी से निपटने के लिए जीएसटी आसूचना महानिदेशालय देश भर में अपने खुफिया नेटवर्क का उपयोग करने के अलावा डेटाविश्लेषण के लिए उन्नत उपकरणों के माध्यम से विशेष रूप से कर चोरी के नए तरीकों की खुफिया जानकारी पता करता है। जीएसटी अधिकारियों ने वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग एक लाख करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया था. चालू वित्त वर्ष के छह महीनों के अंदर ही कर चोरी ने पिछले समूचे वित्त वर्ष का आंकड़ा पार कर लिया है। 

मंत्रालय ने कहा, कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2023-24 में कुल जीएसटी चोरी (नकली आईटीसी सहित) के रूप में 1.36 लाख करोड़ रुपये का पता चला है, इसके एवज में 14,108 करोड़ रुपये का स्वैच्छिक भुगतान किया गया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने चालू वित्तवर्ष (2023-24) में अब तक 14,000 करोड़ रुपये के कुल 1,040 फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट मामलों का पता लगाया है. अब तक फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने वाले 91 धोखेबाजों को पकड़ा जा चुका है। 

बयान में बताया गया है कि जीएसटी चोरी के खतरे से निपटने के लिए डीजीजीआई देशभर में अपने खुफिया नेटवर्क का उपयोग करने के अलावा डेटा विश्‍लेषण के लिए उन्नत उपकरणों के माध्यम से, विशेष रूप से कर चोरी के नए क्षेत्रों में खुफिया जानकारी विकसित करता है।कुलमिलाकर 2023-24 में समग्र जीएसटी चोरी (फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट सहित) और रुपये के स्वैच्छिक भुगतान के रूप में 1.36 लाख करोड़ रुपये का पता चला है  परिणामस्वरूप 14,108 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।जून 2023 से डीजीजीआई ने देशभर में सक्रिय मास्टरमाइंडों और विघटनकारी सिंडिकेट्स की पहचान करने और उन्हें पकड़ने पर विशेष जोर दिया है। 

बयान में कहा गया है कि उन्नत तकनीकी उपकरणों की सहायता से डेटा विश्‍लेषण का उपयोग करके मामलों को सुलझाया गया है, जिससे कर चोरों की गिरफ्तारी हुई है....जीएसटी अधिकारियों ने इस वित्तीय वर्ष 2023 के शुरुआती छह महीनों के भीतर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की चोरी के मामलों की पहचान की है जो पिछले वर्ष के आंकड़ों को पार कर गया है। अप्रैल 2020 और सितंबर 2023 के बीच की अवधि के दौरान टैक्स चोरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा फेक इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईसीटी) के रूप में पता चला था. जीएसटी खुफिया अधिकारियों ने इन मामलों में 57,000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की पहचान की थी। 

मंत्रालय ने कहा कि अप्रैल 2020 से सितंबर 2023 तक 6,000 से अधिक फेक आईटीसी मामलों का पता चला है, जिसमें 57,000 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी शामिल है, इसमें कुल 500 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है डीजीजीआई ने जून 2023 से देश भर में सक्रिय इन टैक्स चोरी सिंडिकेट के पीछे केमास्टरमाइंडों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के प्रयास तेज कर दिए हैं. मॉडर्न डेटा एनालिटिक टूल्स इन मामलों को सुलझाने और टैक्स चोरों की गिरफ्तारी में सहायक साबित हुए हैं। 

साथियों बात अगर हम जीएसटी चोरी फ्रॉड को जानने की करें तो, ये टैक्स सिंडिकेट अक्सर भोले-भाले व्यक्तियों का उपयोग करते हैं और उन्हें नौकरी/कमीशन/बैंक ऋण आदि का प्रलोभन देकर उनके केवाईसी दस्तावेज़ निकालते हैं, जिनका उपयोग उनकी जानकारी और सहमति के बिना नकली/शेल फर्म/कंपनियां बनाने के लिए किया जाता था. बयान में कहा गया है कि कुछ मामलों में केवाईसी का इस्तेमाल संबंधित व्यक्ति की जानकारी में उन्हें छोटे आर्थिक लाभ देकर किया जाता था। 

साथियों अगर हम जीएसटी विभाग द्वारा हाल ही में 26 सितंबर 2023 को एक संस्थान पर मारी गई रेड की करें तो, (1)कमिश्नर के निर्देशन में जीएसटी विभाग की टीम एक स्टील फर्म की जांच की। फर्म द्वारा स्टील कॉयल से घरों में लगने वाली रेलिंग की गोल और चोकोर पाइप बनाने का काम किया जाता है। संयुक्त आयुक्त ने बताया कि सोमवार से मंगलवार तक हुई जांच में सामने आया कि फर्म ने फर्जी तरीके से आईटीसी क्लेम का लाभ लिया था। इसके साथ ही ई-वे बिल बार-बार कैंसिल किए जा रहे थे। 

इसको लेकर टीम ने दस्तावेजों को कब्जे में लिया। साथ ही फर्म की गड़बड़ी मिलने पर व्यापारी ने मौके पर ही 70 लाख रूपये जमा कराए। उन्होंने बताया कि दस्तावेजों की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। (2)सेंट्रल जीएसटी विभाग ने उज्जैन में दो करोड़ 70 लाख के फर्जी आईटीसी घोटाला उजागर किया है। व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह गोरखधंधा कर सलाहकार से मिलकर किया जा रहा था। घोटाला पकड़ में आते ही फर्म ने 35 लाख रुपए फौरन सरकारी खजाने में जमा करा दिए। सेंट्रल जीएसटी की कार्रवाई से व्यापारियों में हड़कंप मचा है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे वर्णन का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ए बाबू ! जीएसटी चोरी से बच के रहिएगा ! मॉडर्न डाटा एनालिटिक टूल्स से टैक्स चोरी पकड़ कर गिरफ्तारी होगी।देश भर में सक्रिय जीएसटी टैक्स चोरी सिंडिकेट के मास्टरमाइंडों की धार पकड़ के प्रयास तेज़।जीएसटी टैक्स चोरी अक्सर, जानकार भोले भाले व्यक्तियों को नौकरी कमीशन बैंक ऋण देकर केवाईसी दस्तावेज से फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट से टैक्स चोरी आम बात है।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र