पथिक

रे पथिक हिम्मत मत हार,चलना ही जीवन है

मिल जाएगा पथ भी,गर आगे बढ़ने का मन है 


माना कोहरा घना छाया,दूर तलक तुमको जाना

कोहरा छटता चला जाएगा, तुम हार नहीं जाना


मन में भर लेना साहस तुम,मंजिल तुम्हारी है पास

शूल भी फूल बन जाएंगे,ईश्वर पर रखना विश्वास


प्रयत्न व्यर्थ नहीं जाता,जहां चाह वहां राह दिखाता

दृढनिश्चय करके बढ़ना,मेहनत का फल मीठा देता


बांहों में आसमां भरने का,हौसला बाजुओं में रखना

स्व लक्ष्य संधान हो जाएगा,तुम राह पर चलते जाना


मजबूत इरादों के आगे तो,पर्वत भी शीश नवाता

अटल चाह के दम पर ही,सागर पर सेतु बन जाता


स्वरचित एवं मौलिक

अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश