अभी तो पलक भी न झपकी निष्ठुर मौत ने नवजात को लगा लिया गले...

लालगंज, प्रतापगढ़। .... मैं तो तेरे आंगन की सोन चिरइया का करूण क्रंदन भी मां के कलेजे को जाने कैसे निष्ठुर बना गया। न तो नियति को मासूमियत की चीख पर तरस आयी और न ही बेटी बचाओ का मंत्र भी नन्हीं सी जिन्दगी को जीवनदान दे सका। कलियुग के कलिकाल में नवजात की पहली मुस्कान भी न खिली कि उसे मौत के गले सिसकना पड़ गया। लालगंज कोतवाली इलाके में लालगंज घुइसरनाथ रोड पर बीते मंगलवार की देर रात एक पेट्रोल पम्प के पास नवजात बच्ची झाड़ियों में फेंकी देखी गयी। 

बच्ची को झाडियों में देख पेट्रोल पम्प पर मौजूद कर्मियों  की नजर पड़ी तो लोग आवाक रह गये। लोगों ने पुलिस को सूचना दी। सूचना पर पहुंची कोतवाली पुलिस नवजात को प्रारम्भिक देखभाल के लिए लालगंज ट्रामा सेण्टर ले आयी। यहां बच्ची की दशा पैरामेडिकल स्टाफ को नाजुक लगी तो उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल में गंभीर हालत में नवजात को प्रयागराज मेडिकल कालेज भेजवाया गया। बेसहारा को ऊपरवाले का भी सहारा नसीब नही हुआ और वह मासूमियत की मौत मारी गयी।

 नवजात के मिलने की चर्चा बुधवार को भी इलाके में हर जुबान पर छायी दिखी। लोगों के जहन में यह सवाल भी कौंधा कि आखिर कलिकाल में इस तरह से मासूमियत का कैसे गला घोटा जा रहा है। सरकार बेटी बचाओं की जागरूकता का मिशन चला रही है। बावजूद इसके सामाजिक ढांचे में अभी भी पाप की गठरी का बोझ कम नही हो पा रहा है। नवजात की रह रह कर सुगबुगाहट मानो यह सवाल भी खुद कर रही हो कि आखिर क्यूं और काहे वह जिसकी गोद को हरी भरी करने आयी थी उसने ही उसके जीवन की राह में मौत का उसे तोहफा देना क्यूं कबूल किया।