भारत मण्डपम।

सांस्कृतिक विरासत को,

मिला एक पुरस्कार।

यह थी एक भारतीय संस्कृति को,

सदियों से चली आ रही,

सबसे प्रखर व सुखद उपहार।

यहां खुशियों को आसमान ने छूआ,

वैश्विक सम्मान से सम्मानित होकर,

भारतीय प्रतिभा आज़,

सबसे खूबसूरत स्वरूप में,

रूबरू होने का अवसर संजोया।

यहां खुशियों का खजाना था,

सदियों से संघर्षरत रहीं,

उन्नत वैभव का तराना था।

विश्वविद्यालय की शोभा थी,

एतिहासिक स्थल की अद्भुत रूपरेखा था,

बसुधैव कुटुम्बकम का नारा था,

सबसे प्रखर पहचान बनाने में,

विविधता में एकता का यहां,

दिखा गई दुनिया को देश ने एक खजाना था।

यहां शान्ति दूत को सम्मान मिला,

सबसे प्रखर पहचान मिली,

गुणों से भरपूर दिखा यहां भारत,

यही आज़ बन चुकी है इबारत।

सम्पूर्णता और सुकून देने वाली ताकत बनकर,

भारत आज़ शिखर पर पहुंचा है,

प्रगति पथ पर आगे बढ़ने से,

सर्वोत्तम संस्कार आज़ यहां,

प्रखर पहचान बना रखा है।

यह एक आन बान और शान रहीं,

भारतीय संस्कृति की गुणगान सही,

सबमें अपनत्व विवेक और विश्वास का,

अद्भुत और अलौकिक रूप दिखा,

जीवन मंत्र को पढ़ते हुए,

सबमें स्वाभिमान का खूबसूरत संदीप दिखा।

यह थी एक एतिहासिक कहानी,

सदियों तक सुरक्षित रहेंगी यह शानी।

आज़ वैश्विक सोच है यहां,

सबमें भिन्न है रूप यहां।

डॉ० अशोक, पटना, बिहार।