रिमझिम -रिमझिम भोले

रिमझिम-रिमझिम बूंदें गिरती,

देखो कैसी लगती हैं,

भोले के आने की सुन कर,

मुस्काती-सी लगती हैं।

रिमझिम -रिमझिम....

कहीं बिजलियां झूम के चमके,

तो बदली शरमाती है,

मेघ गर्जना सुन कर वह-भी,

भोले संग मुस्काती है।

रिमझिम -रिमझिम....

शिखरों से पानी की कल-कल,

हरदम गीत सुनाती है,

भोले की आहट पाकर वह,

सबका दिल बहलाती है।

रिमझिम -रिमझिम....

उमड़-घुमड़ कर छाती बदली,

सबका मन हर्षाती है,

रवि के संग कर लुका-छिपाई,

भोले के संग गाती है।

रिमझिम-रिमझिम....

आओ भोले के संग मिलकर,

धरा माटी श्रंगार करें,

जनजीवन मुस्कानें दें,

यह भोले से मनुहार करें।

रिमझिम -रिमझिम ...

(121 वां मनका)

कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी 'राम'

गांधीनगर, इन्दौर,(म.प्र.)