पूर्व एम एल सी हाजी इक़बाल और उनके परिवार को सुप्रीम कोर्ट से बहुत बड़ी राहत

दर्ज एफ़आइआर को दुर्भावना से ग्रसित बताते हुए निरस्त किया

सहारनपुर। सुप्रीम कोर्ट से आठ अगस्त 2023 को पूर्व एमएलसी हाजी इक़बाल और उनके परिवार के लिए राहत भरी ख़बर आई। सुप्रीम कोर्ट ने हाजी इक़बाल और उनके परिवार जनों के द्वारा फ़ाईल लगभग सभी विशेष अनुमति याचिकाओं को स्वीकार करते हुए उनके ख़िलाफ़ दर्ज हुई सभी एफ़आइआर को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए निरस्त कर दिया। धोखाधड़ी, गैंगरेप, डकैती जैसी गम्भीर धाराओं को निरस्त करते हुए सर्वाेच्च न्यायालय ने गम्भीर टिप्पणी की और यह कहा कि उक्त सभी एफ़आइआर में संबंधित एक भी तथ्य या धारा विधिक रूप से स्वीकार करने योग्य नहीं है । 

हाजी इक़बाल द्वारा योजित याचिकाओं में यह कहा गया था कि उनके और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ सहारनपुर पुलिस द्वारा फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज किए जा रहे हैं और उनके परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है। इस संदर्भ में हाजी इक़बाल के वकील और उत्तर प्रदेश सरकार के वकील के बीच फ़ाइनल बहस को सुनते हुए कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। 8 अगस्त को दिए गए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने हाजी इक़बाल के वकील के बहस के प्रत्येक बिंदु को स्वीकार करते हुए निर्णय दिया कि हाजी इक़बाल और उनके परिवार के ऊपर लगाए गए आरोप निराधार हैं और तथ्यों से परे हैं।

 यह निर्णय अब एक नज़ीर के रूप में भी देखा जाएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भजन लाल बनाम हरियाणा राज्य में दिये हुए व्यवस्था का भी उल्लंघन माना है। सुप्रीम कोर्ट में जिन एफ.आई.आर नंबरो को निरस्त करने की याचिका दाखिल की गई थी उनमें एफआईआर नं. 195/2022, थाना मिर्ज़ापुर एफआईआर नं.175/2022, थाना- मिर्ज़ापुर एफआईआर नं. 007/2023 थाना- मिर्ज़ापुर,एफआईआर नं.224/2022 थाना मिर्ज़ापुर, एफआईआर नं. 127/2022, थाना- मिर्ज़ापुर, एफआईआर नं.122/2022 थाना- मिर्ज़ापुर मुख्य रूप से थे। इन सभी मुक़दमों में गैगेस्टर गैंगरेप डकैती और धोखाधड़ी जैसे आरोप लगाए गए थे जिन्हें निरस्त करते हुए माननीय सर्वाेच्च न्यायालय ने गंभीर टिप्पणी भी की है। 

मुक़दमा संख्या 175/2022 (जो हाजी इक़बाल के दामाद सालिब द्वारा फ़ाईल किया गया था) को निरस्त करते हुए कोर्ट ने कहा कि उक्त मामले में पूरे आरोप मनगढ़ंत हैं और किसी व्यक्ति को सिर्फ़ इसलिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए कि उसके ससुर के ऊपर अधिक मुक़दमे हैं। माननीय न्यायालय नें भजनलाल बनाम हरियाणा सरकार के आदेश का ज़िक्र करते हुए स्पष्ट कहा कि हाजी इक़बाल या अन्य याचिकाकर्ताओं की श्रेणी भी भजनलाल के निर्णय के पैरामीटर 1, 5 और 7 में आता है जिसके अनुसार ये मामले फ़र्ज़ी और जानबूझकर फँसाने के लिए लगाए गए है। सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों से हाजी इक़बाल और उनके परिवार के सदस्यों के भीतर न्याय की उम्मीद जगी है।