दलहन व तिलहन को जीवनदान, धान की प्यास अभी बाकी

बांदा। अगस्त के आगाज के साथ तीन दिन से रूक-रूक कर हो रही मानसूनी बारिश से तिलहन व दलहन फसलों को जीवनदान मिला है। धान की फसल अभी भी प्यासी है। जिले में इस वर्ष 121121 हेक्टेयर में खरीफ के आच्छादन का लक्ष्य रखा गया था। इसमें 47791 हेक्टेयर में धान का आच्छादन होना था। बारिश न होने से अभी तक 26285 हेक्टेयर में ही धान की रोपाई व 71309 में दलहन व तिलहन की बुआई हो सकी। इधर, अगस्त के आगाज के साथ तीन दिन में 62 मिली मीटर बारिश से किसानों के चेहर खिल उठे है।

 किसानों ने इस बारिश को अमृत वर्षा का नाम दिया है। कहा कि इससे दलहन व तिलहन को जीवनदान मिला है और धान को अभी पानी की और आवाश्यकता है। जिला कृषि अधिकारी डा. प्रमोद कुमार का कहना है कि दलहन व तिलहन की फसल के लिए तीन दिन में हुई बारिश पर्याप्त है। रोपित धान की फसल को एक पानी पर्याप्त हो गया है। हालाकि धान की फसल को आगे चलकर पानी की और आवश्यकता पड़ेगी। 

जिन खेतों में धान की बेडे लगाई जाना है वहां पानी की अभी और आवश्यकता है।तिंदवारी के धौसड़ गांव निवासी किसान राजबहादुर का कहना है कि बारिश न होने से दलहन व तिलहन सहित धान की फसल मुरझाने लगी थी। तीन दिन की बारिश से फसल जिंदा हो गई। पपरेंदा के किसान स्यंबर तिवारी पपरेंदा का कहना है कि बारिश न होने से धान की रोपाई नहीं कर सके। बारिश होने से भले ही पिछड़ गए है लेकिन कुछ न कुछ तो हो ही जाएगी।