मैं हिन्दू, तू सिख, ये मुस्लिम, वो ईसाई,
बचपन से सुनता हूं भाई-भाई !
क्या प्यार था क्या दुलार था, बड़े ही
उल्लास से मनता हर त्योहार था!
क्या होली-दिवाली, नानक जयंती,
ईद, क्रिसमस सब मिलते थे हंसकर!
गर बीमार होता कोई, सारा मोहल्ला
रखता था, बीमार की खैरखबर !
हम सब एक जैसे, मालिक ने सबको
गढ़ा एक समान, सबके अंग समान !
तब कहां हुआ कोई किसी से जुदा,
अलग और बढ़कर महान !
सबके धर्म अपने-अपने पवित्र हैं
और सबको बराबरी का दर्जा हैं !
थर्म में कट्टरता का नहीं हैं कोई स्थान,
तभी कहते हम मेरा भारत देश, महान !
- मदन वर्मा " माणिक "
इंदौर , मध्यप्रदेश