ये जो पल मिले थोड़े, नाम उसके ज़रा करना..

किसी को सताना हो अगर, उससे थोड़ी बेरुखी करना,

मगर देनी किसीको जिंदगी अगर, नित प्रीत नयी करना !!


नाम कौन 'लिख' सका है भला, आसमां की दीवारों पर,

बस,तुम 'प्यार' से कोई तारा 'उसके' नाम ज़रा करना !!


भीड़ है,,शोर है,,है सबकी भी अपनी-अपनी कहानियां ,

तुम 'लिखके' कोरे पन्नों पे, अपना हर दर्द बयां करना !!


माना, नहीं बदल सकते ये आड़ी-तिरछी लकीरें हाथों की,

फिर भी, झुकाके दर पे 'उसके' सर, अदब ज़रा करना !!


आज माना, ये मौसम उमस और तपती दोपहरियों का है ,

लगाके पौध इंसानियत की, बारिशों का साथ ज़रा करना !!


सुनो, यहां ये 'वक्त के लेखे', मिटाए से कब मिटे "मनसी",

भले ही 'ये जो पल' मिले थोड़े, 'नाम' उसके ज़रा करना !!


नमिता गुप्ता "मनसी'

मेरठ,  उत्तर प्रदेश