"जग सिरमौर भारत"

भारत के साहस पर दुनिया हैरान है, इसरो ने यान के हाथों भेजा पैगाम है। कायर न समझो हमें पड़ोसी दुश्मनों, भारत के हाथों चंद्र की कमान है। अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियाँ अब अभूतपूर्व ऊँचाइयाँ छू रही है! आज भारत जग सिरमौर बनकर उभर रहा है। आज उस गाने को गुनगुनाने का मन कर रहा है। लंदन देखा, पेरिस देखा और देखा जापान, सारे जग में कहीं नहीं है दूसरा हिंदुस्तान। यह दुनिया एक दुल्हन दुल्हन के माथे की बिंदिया, यह मेरा इंडिया आई लव माय इंडिया। सच ही तो है। 

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के साथ भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन जैसे देशों के एक छोटे समूह में शामिल हो गया है, जिन्होंने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। 

भारत का मिशन चंद्रयान सफलता के शिखर पर पहुंच चुका है। 23 अगस्त शाम 6.04 मिनट पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने रोवर सहित चांद के सीने पर पहला कदम रख लिया है। जिस ऐतिहासिक पल का हर भारतवासी को बेसब्री से इंतजार था वो घड़ी आज आ गई। चंद्रयान ने चाँद के चरण छूकर 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों को साकार कर दिया है।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करते ही भारत दुनिया का पहला देश बन गया है।

लैंडर के चांद पर उतर जाने के करीब ढाई घंटे बाद रोवर प्रज्ञान बाहर निकला। अब प्रज्ञान चांद की जमीन पर टहल रहा है। रोबोटिक व्हीकल प्रज्ञान रोवर को अपने मिशन को अब अंजाम देना है।

चन्‍द्रयान-3 की सफलता भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में क्षमता और शक्ति का प्रमाण है। मिशन चंद्रयान 3 की सफलता पर टीम इसरो को बहुत-बहुत  बधाई। सारा देश उन वैज्ञानिकों पर गर्व महसूस कर रहा है जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता, मेहनत, लगन और प्रबल इच्छाशक्ति से इस मिशन की सफलता के साथ इतिहास रच दिया है। भारत ने चाँद पर अपना परचम लहरा दिया है। चाँद  पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफ़ल रही, उस नज़ारे को देखकर देशवासियों की गर्दन फ़ख़्र से उपर उठ गई। 

बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर हर घर के लीविंग रूम में सजे टीवी पर झिलमिला रही थी। ये नए भारत का सूर्योदय है। इसरो ने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया...भारत अब चंद्रमा पर है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करके इतिहास रच दिया है। इसरो का मून मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में कामयाब रहा है। इसरो ने अपने दूसरे प्रयास में यह सफलता पाई है। चंद्रयान-2 मिशन हार्ड लैंडिंग की वजह से सफल नहीं हो पाया था।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने रविवार को कहा कि यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। यह अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की प्रगति का प्रतीक होगी। एजेंसी ने बताया कि मिशन तय समय पर है। सिस्टम की जांच भी नियमित रूप से की जा रही थी। इसके साथ ही मिशन की निगरानी कर रहे लोग भी जोश और ऊर्जा से भरे हुए थे। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल सफलता पूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से युक्त लैंडर मॉड्यूल ने शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की और इतिहास रच दिया।

इस सफलता के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग' कर चुके हैं, हालांकि इनमें से कोई भी देश ऐसा नहीं है जिसकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में हुई है। चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से 17 मिनट लगे। चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.30 बजे लॉन्च किया गया था।

अब चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर 14 दिवसीय कार्य शुरू करेगा रोवर चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब रोवर मॉड्यूल इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए 14 दिवसीय कार्य शुरू करेगा। उसके विभिन्न कार्यों में चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहाँ प्रयोग करना भी शामिल है। लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक चंद्र दिवस है जो पृथ्वी के 14 दिन के समान है। चंद्रयान-3 की सफ़लता का श्रेय इसरो संगठन की मेहनत और लगन का नतीजा है। जिनके ज्ञान और काबिलियत के आगे पूरा देश नतमस्तक है।

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर