तुमसे मिलने की पुनः
उम्मीद ज़िन्दा
आज भी है

---------------------
खत पुराने हैं मगर शब्दों से
रिश्ता आज भी है।
तुमसे मिलने की पुनः उम्मीद
ज़िन्दा आज भी है।
अब नहीं हम साथ चलते
ना कहीं हँसते हैं मिलकर,
फिर भी बीते साथ का हर
ओर किस्सा आज भी है।
पंख भीगे हैं, हवा उलटी है,
कुहरा भी घना है,
फिर भी उड़ने के लिए आतुर
परिंदा आज भी है।
कुछ की इच्छा है कि मर जा
प्यार पर वे क्या करें,
पागलों में हीर-रांझा जैसा
जज्बा आज भी है।
पूछ लो फूलों से झुकके
और छुपके तितलियों से,
बाग में खुशबू सरीखा
प्यार मेरा आज भी है।
तुमने कानों में कहा जो
लड़खड़ाना छोड़ दो अब,
बात है बरसों पुरानी पर
वो चर्चा आज भी है।
तुम नहीं हो सत्य है पर
अब भी मन की वादियों में,
तेरे जैसा खिलखिलाता
चाँद उतरा आज भी है।
तेरे आने की कथा से
जो हुआ आमद मुझे था,
साहेबां अरसा हुआ पर
याद मुखड़ा आज भी है।
वक्त की नजरों में हो तुम
अब निचोड़े आम जैसे,
पर मिरी नज़रों में तेरा
खास जलवा आज भी है।
- धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव
All reaction
1