कर्तव्य पथ पर चल

संकल्प लिये मन मे

हर पल नये जोश मे

कर्तव्य पथ पर चल


आशा,तृष्णा सब छोड़ कर

काम,वासना से परे डग पर

कर्तव्य पथ पर चल


ज्ञानदीप से हो उजियार

उज्जवल भविष्य निहार

कर्तव्य पथ पर चल


अस्मिता की रक्षा कर

जीवन पथ सुधार कर

कर्तव्य पथ पर चल


आत्मबल से लीन हो

समर्पित जब भाव हो

कर्तव्य पथ पर चल


तु बढ़ चले जतन से

तन मन और धन से

कर्तव्य पथ पर चल


कर्म ही प्रधान जब

करे सत्कर्म हम सब

कर्तव्य पथ पर चल


उमंग और बहार मे

आनंद की फुहार मे

कर्तव्य पथ पर चल


मानवता की राह मे

ठहराव और प्रवाह मे

कर्तव्य पथ पर चल


छोड़कर अभिमान सब

मानव है,तो मान अब

कर्तव्य पथ पर चल


रचनाकार

प्रमेशदीप मानिकपुरी

आमाचानी धमतरी छ.ग.