यमराज से मुक्ति पाकर
आज पितर हुए आज़ाद हैं,
मिलने धरा पर आज आएं
पूर्वजों का सारा परिवार है।
पावन कितना साल का
अश्विन कृष्ण पक्ष यह मास है,
देने आशीष पूर्वज हमें
आए धरा पर आज हैं।
अपने वंशज के हाथों से
पाने तर्पण को आज बेताब हैं,
रोप गए थे जड़ें जो अपनी
आए देखने उनका विस्तार हैं।
गंगा नदी के पावन जल से
होता उनका तर्पण है,
करते श्राद्ध जो नियम पूर्वक
पाते उनके पूर्वज मुक्तिधाम हैं।
गया नगरी के शिलापट्ट पर
जाकर करते जो पिंड दान हैं,
देते आशीष पितर देव उन्हें
वो करते उनका कल्याण है।
अर्चना भारती नागेंद्र
पटना सतकपुर सरकट्टी बिहार