कलम चलें तो शब्द लिखे।
लिखने वाला न्याय करें तो बात बने।।
अहसास लिखें, भाव लिखे,
दिल में उठे जज्बातों का सैलाब लिखे।
पर्वतों की श्रृंखलाओं का न्यास लिखे,
दर्द के रोए - रोए का विन्यास लिखे।
विमुख, संदिग्ध स्वप्नों का पल-पल लिखे,
नित नए अनुरागों का कल लिखे।
धरा, अंबर, वतन लिखे,
विस्तृत सृष्टि का सौंदर्य लिखे।
जन्म से मृत्यु तक का सत्य लिखे,
संघर्षों से लिप्त पथ - पग लिखे।
जीवन का गहन सार लिखे,
मानवता को प्रथम धर्म - अधिकार लिखे।
अद्भुत जग का भ्रमित संसार लिखे,
विश्व - विविधता को परिवार लिखे।
कलम चले तो शब्द लिखे।
लिखने वाला न्याय करे तो बात बने।।
-वंदना अग्रवाल 'निराली'
लखनऊ, उत्तर प्रदेश