साहित्य का काम रिझाना नहीं जगाना है: कमलेश भट्ट

-कथाकार बलराम पर केंद्रित साहित्यिक पत्रिका ‘शीतलवाणी’ का लोकार्पण 

सहारनपुर। प्रख्यात हाइकुकार, कहानीकार व हिन्दी ग़ज़लकार कमलेश भट्ट कमल का कहना है कि साहित्य का काम रिझाना नहीं समाज को जगाना होता है। उन्होंने कहा कि जो साहित्यिक पत्रिकाएं समाज को जगाने का काम कर रही हैं उनमें सहारनपुर से प्रकाशित हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका शीतलवाणी प्रमुख रुप से शामिल है। उन्होंने कहा कि साहित्यिक पत्रिकाओं के संवर्धन के लिए जहां केंद्र व राज्य सरकारों को उदार नीति बनानी चाहिए वहीं पंूजीपतियों और बड़े घरानों को भी आगे आना चाहिए।

कमलेश भट्ट कमल अंबाला रोड स्थित स्वामी रामतीर्थ सभागार में समन्वय द्वारा हिन्दी दिवस के उपलक्ष में आयोजित प्रख्यात साहित्यिक पत्रिका हिन्दी त्रैमासिक ‘‘शीतलवाणी’’ के ‘कथाकार बलराम विशेषांक’ के लोकार्पण समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उत्तराखण्ड के प्रख्यात साहित्यकार डॉ.गजेन्द्र बटोही ने कहा कि ‘शीतलवाणी’ ने साहित्य जगत में नये आयाम स्थापित किये है। बलराम विशेषांक में कथाकार बलराम पर विषय सामग्री का चयन, प्रस्तुति और संपादकीय सभी पाठक के मन पर सीधा प्रभाव छोड़ते हैं।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए साहित्य अकादेमी दिल्ली के पूर्व सदस्य और प्रख्यात साहित्यकार डॉ.योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण ने कहा कि पत्रिका द्वारा कवि शमशेर व नरेश सक्सेना, कहानीकार से रा यात्री और उदय प्रकाश, रंगकर्मी डॉ. लक्ष्मीनारायण, हिन्दी ग़ज़लकार कमलेश भट्ट कमल, गीतकार राजेन्द्र राजन आदि अनेक साहित्यकारों के बाद अब कथाकार बलराम पर प्रकाशित विशेषांक इस बात का प्रमाण है कि शीतलवाणी हिन्दी साहित्य को समृद्ध कर रही है। उन्होंने कहा कि पत्रिका सम्पादक डॉ. वीरेन्द्र आजम ने बलराम के उनके कथेत्तर गद्य सहित सभी पक्षों और विधाओं को जिस खूबसूरती के साथ शामिल किया है वह प्रशंसनीय और अभिनंदनीय है। 

इससे पूर्व पत्रिका सम्पादक डॉ. वीरेन्द्र आज़म ने शीतलवाणी की साहित्यिक यात्रा पर प्रकोश डालते हुए कहा अपने अल्प संसाधनों में पत्रिका ने शोधार्थियों को एक ही स्थान पर वरिष्ठ साहित्यकारों पर सामग्री उपलब्ध कराने के अलावा सृजन जगत के नवांकुरों को मंच देने का प्रयास किया है। सम्मानित किये गए तीनों साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ भी किया। 

इस अवसर पर समन्वय अध्यक्ष डॉ. ओ पी गौड़, डॉ. विजेन्द्रपाल शर्मा, हरिराम पथिक, विनोद भृंग, शिवराज राजू, हेम शलभ, डॉ. सुमेधा नीरज, पूर्व विधायक सुरेन्द्र कपिल, जितेंद्र शर्मा, रमेश छबीला, राजीव यायावर व डॉ. अनीता आदि मौजूद रहे। संचालन डॉ. आर पी सारस्वत ने किया।