मिच्छामि दुक्डम से निर्मल होता है व्यक्ति का मन : मुनिराज विवेक सागर

जैन समाज का सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम हुआ आयोजित

बाड़मेर । पर्वाधिराज पयुर्षण महापर्व की हर्षाेल्लास एवं ठाट-बाट के साथ पूर्णाहुति के बाद रविवार को जैन श्रीसंघ, बाड़मेर की ओर से लंगेरा रोड़ स्थित महावीर वाटिका में परम पूज्य मुनिराज श्री विवेकसागरजी मसा, मुनिराज श्री मेघरक्षित सागरजी मसा, साध्वीश्री विद्युतप्रभाश्रीजी मसा आदि ठाणा पावन निश्रा, जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के अध्यक्ष एडवोकेट प्रकाशचन्द वडेरा की अध्यक्षता तथा सकल जैन श्रीसंघ की उपस्थिति में सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम आयोजित हुआ ।

कार्यक्रम संचालक मुकेश बोहरा अमन ने बताया कि सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम का आगाज श्रीसंघ के अध्यक्ष प्रकाशचन्द वडेरा, महामंत्री पारसमल छाजेड़, कोषाध्यक्ष पारसमल बोहरा एवं सहमंत्री जगदीशचन्द बोथरा ने परमात्मा महावीर स्वामी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर एवं सकल श्रीसंघ की ओर से साधु-साध्वी भगवन्तों को सामूहिक गुरूवंदन के साथ हुआ । 

कार्यक्रम में 52 उपवास की तपस्या करने वाले तपस्वी आराधक रामलाल वडेरा एवं प्रभावना के लाभार्थी परिवार वकील नेमीचन्द तुलसीदास वडेरा परिवार के सदस्य कन्हैयालाल वडेरा एवं वरूण वडेरा का श्रीसंघ की ओर से बहुमान-सम्मन किया गया । वहीं कार्यक्रम में डाॅ. मांगीलाल बोहरा, जेठमल सिंघवी, कवि गौतम संखलेचा चमन, जगदीश पड़ाईयां आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए और मानव जीवन में क्षमापना की महता बताते हुए सकल श्रीसंघ से क्षमापना की ।

अध्यक्ष प्रकाशचन्द वडेरा ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए समस्त साधु-साध्वी भगवन्तों को वन्दन-अभिनन्दन करते हुए सकल श्रीसंघ का आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया । वडेरा ने वर्तमान कार्यकाल में हुए समाज हित के कार्याें में सकल संघ से मिले अपार सहयोग के सबका धन्यवाद जताया । महावीर वाटिका में हुए अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक कार्याें का जिक्र किया । वडेरा ने व्यक्तिशः एंव प्रतिनिधि सभा के कार्यकाल में हुई भूलों, त्रुटियों आदि के लिए श्रीसंघ से क्षमापना की ।

कार्यक्रम में साध्वीश्री डाॅ. विद्युतप्रभाश्रीजी मसा ने कहा कि क्षमापना जैन धर्म की बहुत ही विशिष्ट प्रक्रिया है । जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को भूतकाल में की गई भूलों के लिए प्रयाश्चित व आलोचना करने का मौका मिलता है । जिससे क्षमा जैसे अनमोल आभूषण को सैद्धान्तिक की बजाय व्यावहारिक रूप से जीवन में उतारा जा सकता है । यही सच्ची क्षमापना है ।

कार्यक्रम में मुनिराज श्री मेघरक्षित सागरजी मसा ने कहा कि ‘‘खामेमि सव्वे जीवे, सव्वे जीवा खमन्तु मे’’ अर्थात् मैं सभी जीवों को क्षमा प्रदान करता हूं तथा सभी जीव मुझे क्षमा प्रदान करे । मुनिराज ने कहा कि क्षमापना व्यक्ति के भीतर से आती है । उसी अन्तःकरण से निकली क्षमा से सबका कल्याण होता है ।

कर्यक्रम में मुनिराज श्री विवेकसागर जी मसा ने कहा कि जीवमात्र से मिच्छामि दुक्डम करने से व्यक्ति का मन निर्मल होता है । हमें सच्चे ह्रदय से सबसे क्षमापना करनी है । आज का दिन क्षमापना दिवस अर्थात् मैत्री दिवस है । ऐसे में हमें सभी से मधुर सम्बन्ध व व्यवहार बनाते हुए मिच्छामि दुक्डम करना है ।

जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम का संचालन मुकेश बोहरा अमन एवं गीतकार गौरव मालू ने किया । जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के महामंत्री पारसमल छाजेड़ ने क्षमापना कार्यक्रम में पधारे सभी साधर्मिक बन्धुओं का आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया । इस दौरान बड़ी संख्या जैन समाज के गणमान्य नागरिक, माताएं, बहिनें , युवासाथी व बच्चे उपस्थित रहे ।