पर्व प्रेम का (हरिप्रिया छंद )

पर्व प्रेम का प्रतीक, छोड़ दो तुम ये लीक,

बातें नेह की  सीख,स्नेह भाव भरिये |

प्रेम ही है संसार, करता भव सिंधु पार,

हृदय के बजते तार,प्रेम भाव धरिये ||


छोड़ दो सारे भोग, मिल जाये सर्व जोग,

दुखी रहे नहीं लोग, सहज बने रहिये |

गाओ प्रेम के गीत,कहे धर्म यही रीत,

मिल जाये सफल जीत, राम नाम कहिये ||


करते रहना पुकार, बोलो मन से विचार,

देखो नैना निहार,स्वागत मन करिये |

राम रंग अंग -अंग, चढ़े भक्ति भाव रंग,

अब चलूँ तेरे संग,धीरज अब धरिये ||


करलो अब तुम सुकर्म, धार लो ये निज धर्म,

छोड़ दो सकल अधर्म, ज्ञान ध्यान रखिये |

पर्व सर्व राम नाम, पूर्ण भाव श्याम नाम,

वृन्दावन परम धाम, हृदय प्रेम लखिये ||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश