अनेकता में एकता हमारी शैली है

अनेकता में एकता 

हमारी शैली है 

प्राकृतिक संपदा से 

भरपूर हरियाली है 


भारतीय संस्कार 

हमारे अनमोल मोती है 

प्रतितिदिन मातापिता के पावन 

चरणस्पर्श से शुरुआत होती है 


उसके बाद वंदन कर 

गुरु को नमन करते हैं 

बड़ों की सेवा में हम भारतीय

हमेशा स्वतः संज्ञान सेआगे रहते हैं 


श्रावण कुमार गुरु गोविंद सिंह 

महाराणा प्रताप वीर शिवाजी 

अनेकों योद्धाओं बलवीरों

महावीरों की मां भारती है 


हम भारतवासी संयुक्त परिवार की 

प्रथा श्रद्धा से कायम रखे हैं 

अतिथियों को देव तुल्य मानकर 

भरपूर भाव से सेवा करते हैं 


सबको प्यार का मीठा प्यारा माता पिता

राष्ट्र की सेवा कापाठ पढ़ाते हैं 

हम अपनी संस्कृति से 

प्राणों से अधिक प्यार करते हैं 


लेखक - कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, कानूनी लेखक, चिंतक कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र