संत शिरोमणि तुलसीदास जी की जन्म स्थली आज पांचवे में दिन हो रहा नवांह परायण का पाठ

संत शिरोमणि तुलसीदास जी की जन्म स्थली में हजारों की तादाद में पहुंच रहे भक्तगण

चित्रकूट : विश्व विख्यात संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्म जयंती महोत्सव कार्यक्रम का आज पांचवा दिन चल रहा है और श्रीरामचरितमानस के नवांह परायण पाठ का आज चौथा दिन चल रहा है। पूज्य गोस्वामी तुलसीदास के जन्म स्थली तुलसी तीर्थ राजापुर धाम के तुलसी जन्म कुटीर तुलसी मंदिर के विशाल प्रांगण मे सैकड़ों श्रद्धालु गण संत महात्मा गण परम पूज्य रामदास महाराज के साथ परायण पाठ का हर्ष उल्लास के साथ पाठ चल रहा है। 

इस महा आयोजन में दूरदराज के रहने वाले ग्रामीण अंचल के नर नारी बुजुर्ग बच्चों का श्रद्धालुओं का संतों का तांता लगा हुआ है इस महाआयोजन में मथुरा वृंदावन अयोध्या चित्रकूट कौशांबी बांदा से बड़ी तादाद में श्रद्धालु गण महोत्सव में सम्मिलित हो रहे हैं। नवान्ह परायण पाठ प्रातः 7:00 से 10:00 बजे तक चलता है। 10:00 से 11:00 बाल भोग लगाया जाता है 11:00 से पुणे 1:00 बजे तक पढ़ाया पाठ का गायन चलता है।

आज पूज्य महाराज रामदास जी के श्री मुख से पवित्र पाठ में आज मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम को मां कैकेई के कहने पर 14 वर्ष के लिए वनवास  काल दिया गया प्रभु पुरुषोत्तम राम ने बहुत ही खुशी से पिता की आज्ञा को शिरोधार्य  कर और हंसते हुए 14 वर्ष के वनवास के लिए घर से अपने भार्या के साथ और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के लिए अपने राजमहल का त्याग कर निकल पड़े। समस्त अयोध्या वासियों के लिए  यह  समय बहुत ही संकट का समय था अयोध्या वासियों का और पिता का जिन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र पुरुषोत्तम राम को अत्यधिक स्नेह करते थे सभी का रो रो कर बहुत बुरा हाल था बहुत ही करुणा भरा हुआ दृश्य था। 

अयोध्या को त्यागने के बाद प्रभु श्री राम नदी को पार करने के लिए निषाद राज से अग्रह करते हैं निषाद राज भाव विभोर होकर प्रभु श्री राम मां जानकी और लक्ष्मण को अपने नाव में बिठाकर नदी पार करवाता है माता सीता निषादराज को नाव से नदी पार करवाने के बदले में अपनी मलिक गणित मुद्रिका निकाल कर प्रभु से देने के लिए कहती हैं लेकिन निषाद राज किसी भी तरह मणि जड़ित मुद्रिका लेने से इंकार कर देते हैं और प्रभु से हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि प्रभु मुझे आप अपनी भक्ति दें। 

यह प्रसंग बहुत ही मार्मिक था सभी श्रद्धालु इस मार्मिक प्रसंग को सुनकर भाव विभोर हो गए करुणा रस में भर गए और सभी की आंखों से आंसू आने लगे परम पूजनीय आदरणीय गुरुदेव रामदास महाराज जी के श्री मुख से या प्रसंग सुनकर हजारों में मौजूद भक्तजन अपने आप को बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। नवांग पारायण के साथ-साथ शाम को हर रोज तरह-तरह की लीलाओं का मंचन किया जाता है दूरदराज के ग्रामीण अंचल नर नारियों बालको के द्वारा लीला का पूरा लुफ्त उठाया जाता है।

रामचरित मानस एक महाग्रंथ है रामचरितमानस संपूर्ण है आज सांसारिक हमारे रिश्ते बिगड़े हुए हैं तरह-तरह की गृह क्लेश है अगर हर व्यक्ति रामचरितमानस को गुरु मानकर उसका पाठ करें और उसके आदर्शों को अपने जीवन में उतार कर पालन करें तो हमारे समाज में व्याप्त कई तरह की बुराइयां स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी और परिवार में प्रेम, स्नेह और सौहार्द पुनः अपने आप स्थापित हो जाएगा, इसलिए इसलिए परिवार के हर हर सदस्य का परम कर्तव्य है कि वह रामचरित मानस का अध्ययन जरूर करें और अपने जीवन में उन आदर्शों को लागू करें।

इस मौके पर विष्णुकांत चतुर्वेदी, शिवाकांत चतुर्वेदी, सूर्य प्रकाश त्रिपाठी, गंगा प्रसाद पांडे, मंगल पांडे, राजेंद्र पांडेय, अशोक सोनी उमेश सोनी, सतीश मिश्रा सुनील मिश्रा, वीरेंद्र द्विवेदी,धर्मेंद्र द्विवेदी मनु सोनी शंभू सोनी, रीश्रीष मिश्रा जन्मेजय शुक्ला, मनीष ओझा, पवन ओझा, श्रवण गर्ग, रामाश्रय त्रिपाठी, चुन्नू तिवारी, आदि सैकड़ों की तादाद में भक्त जन उपस्थित रहे।