घाघरा नदी के कटान का भयावह मंजर देख सहमे ग्रामीण, अपने हाथों से ही उजाड़ने लगे अपना आशियाना

ब्यूरो , सीतापुर : जनपद सीतापुर की तहसील महमूदाबाद के थाना व विकासखंड रामपुर मथुरा क्षेत्र में विगत कई वर्षों से घाघरा नदी रामपुर मथुरा क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित कई गांवो में प्रत्येक वर्ष अपना विकराल रूप दिखाती है। दर्जनों घर समेत सैकड़ों बीघे खेतिहर जमीन को अपने में समाहित कर लेती है । इसी तरह इस वर्ष भी इन दिनों घाघरा नदी का मंजर देख ग्रामीण सहमे हुए हैं । क्षेत्र के अखरी गांव में इस बार दो घर व लगभग पांच एकड़ जमीन को घाघरा नदी ने अपने में समाहित कर लिया है । दर्जनों घर कटान की जद में है । जिससे अपने ही आशियाने को अपने ही हाथों से उजाड़ने को मजबूर हैं । इसी के साथ यह भी चिंता बनी हुई है कि जाए तो अब कहां जाएं। अभी तक शासन प्रशासन की ओर से कोई मदद के इंतजाम भी नहीं दिख रहे हैं ।

घाघरा नदी में समाहित हो गए दो घर व पांच एकड़ जमीन

जनपद सीतापुर की तहसील महमूदाबाद के विकासखंड रामपुर मथुरा क्षेत्र के अखरी गांव के निवासी राम तीरथ पुत्र जनार्दन व रामनरेश पुत्र राम उदित का घर घाघरा नदी में कट गया है । जिनके पास अब घर बसाने के लिए  कोई उचित स्थान नहीं है । फिलहाल यह अभी छप्पर व तिरपाल  के नीचे रह रहे हैं । इन पीड़ितों की मांग है कि उचित स्थान पर घर बनाने के लिए जमीन मुहैया की जाए । इसी तरह गांव के ही राम सुहावन ,  उषा देवी  , अनुराग  , जय प्रकाश , शिव प्रसाद की खेतिहर जमीन नदी में कट गई है । इन सब के पास परिवार की आजीविका चलाने का साधन सिर्फ कृषि ही था । लेकिन अब उनकी जमीन नदी में समा गई है । जिससे परिवार का भरण पोषण करने में समस्या होगी ।

कटान की जद में है दर्जनों घर :

सीतापुर के रामपुर मथुरा क्षेत्र के अखरी गांव में घाघरा नदी कटान कर रही है। जिससे दर्जनों घर घाघरा नदी के निशाने पर हैं । ओमप्रकाश, राकेश, उमाशंकर , धनंजय , उषा देवी , धर्म पाल , राम सुहावन , शिवम तिवारी , गोविंद प्रसाद , शिव कुमार , अमन तिवारी आदि के घरो पर खतरा मंडरा रहा है कभी भी घाघरा नदी में समाहित हो सकते हैं ।

स्टड निर्माण में अनियमितताओं से ग्रामीणों की जुबां पर उठ रहें सवाल :

सीतापुर के रामपुर मथुरा क्षेत्र में कटान को रोकने के लिए बीस करोड़ से अधिक धन खर्च किया गया । परियोजना कार्य पूर्ण होने को है । लेकिन कटान प्रगति पर है । पूर्व के दिनों में हुई बरसात से घाघरा नदी में जल का स्तर बढ़ा था । जिसके बाद से नदी कटान करना प्रारंभ कर दिया था । इसी के साथ ही स्टड निर्माण के पास कुछ दूरी में पत्थर धंस गए हैं । जिससे ग्रामीण खतरा महसूस कर रहे हैं । स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि जब परियोजना का कार्य पूर्ण होने पर है । इसके बावजूद भी कटान नहीं थम रहा है ।

किसानों को रुला रहे बेसहारा पशु:

सीतापुर के रामपुर मथुरा क्षेत्र के ग्रामीण एक ओर घाघरा नदी के कहर से पीड़ित हैं तो दूसरी तरफ बेसहारा पशु भी इनके लिए समस्या बने हुए हैं । अधिकांश  किसानों की जमीन पहले से ही घाघरा में समा चुकी है । और कुछ की बची भी है तो बेसहारा पशुओं के आतंक से फसल तैयार भी नहीं हो पा रही है। ग्रामीणों की मानें तो शासन प्रशासन गौ संरक्षण का दावा कर रही है । लेकिन जमीनी हकीकत में इस अभियान का असर नहीं दिख रहा है । किसानों की मेहनत पर बेसहारा पशु पानी फेर रहे हैं । जिससे इस क्षेत्र के किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। किसानों ने सीएम हेल्पलाइन पर कई बार शिकायत भी दर्ज कराएं हैं लेकिन समस्या से निजात नहीं मिली है।