श्रीमद्भग्वदगीता

वेद व्यास ने लिखा, गीता ग्रन्थ महान |

मिलती जिसमें प्रेरणा, जाने सकल जहान ||1||


प्रथम अध्याय जान लो, सैन्य निरीक्षण भाग |

मोह ग्रस्त अर्जुन यहाँ, करे धर्म परित्याग ||2||


नश्वर भौतिक देह ये, नाशवान संसार |

कर्ता सब कुछ ईश है, गीता का है सार ||3||


कर्मयोग को जानकर, पालन करना धर्म |

दिव्य ध्यान के योग से, श्रेष्ठ मनुज के कर्म ||4||


देख ऐश्वर्य ईश का, दर्शन विराट रूप |

शुद्ध प्रेम को प्राप्त कर, मिले दिव्यता भूप ||5||


प्रकृति के गुण तीन है, करना कैसे पार |

सतो रजो गुण तामसी, बने दिव्य आधार ||6||


मानव वैदिक ज्ञान से, विलग करे सब पाश |

जान कृष्ण के मूल को, होगा नहीं निराश ||7||


दैव आसुरी भाव से, जगे जन्म के भाग |

भक्ति भाव से पूर्ण जो, करे कर्म फल त्याग ||8||


उपजे श्रद्धा कर्म से,करे हृदय को शुद्ध |

ध्यान योग के धर्म से, बनता माधव बुद्ध ||9||


अर्थ वैराग्य जानकर,धरो शीश निज ईश 

नित्य धाम वापस मिले, दर्श मिले जगदीश ||10||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश