बधाईयों के दालभात में जब आ जाता कंकड़..!

सोशल मीडिया पर सक्रियता की धूम चारों और मची हुई हैं। यूजर भी करोड़ों की संख्या में हैं। जागते, उठते बैठते

और लेटते, खवासन, शवासन, उत्कृष्टासन, मयूरासन में भी सोशल मीडिया व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, मैसेंजर पर व्यस्त रहने वाले जरा-जरा सी खुशियों पर बधियाते, पगुराते, खिलखिलाते और स्वयं की भी खुशियां बढ़ाते अघियाते-थकते नहीं। ऐसा करने मैं कौन सा रूपया खर्च करना पड़ता है। फ्री का घी लगता हैं गिव एंड टेक में खुशियाँ, बधाईयां, शुभकामनाएं, अर्जी लगाते जाओ और सामने वाले से समय आने पर पाते भी जाओ याने इन्हें केश भी कराते जाओ।

लोग इसके लिए खुब रियाज लगाते हैं, आकर्षक स्लोगन बधाइयां और शुभकामनाएं देने के लिए गूगल पर खोज रिसर्च चलती रहती है। कुछ नया, अलग, आकर्षक स्लोगन व स्टिकर पाने की खोजबीन होती है। भिन्न-भिन्न आकृति-प्रकृति, रंगों में दिल के नीचे से ऊपर तक, रोम-रोम से, सैंकड़ों, हजारों, लाखों, करोड़ों से पार भी अनगिनत, असीम, असीमित, अनंत, लंबी मुस्कराहटों के साथ, वीडियो, तस्वीरों, प्राकृतिक दृश्यों के साथ, मनपसंद तस्वीरों, सीनरी के साथ दी जा रही बधाईयां मनमोहक होती है। दिल गार्डन-गार्डन हो जाता है।

व्हाट्सएप पर बधाई संदेश जब ग्रुपों में डलते हैं और बीच में कहीं ओम शांति आ जाता है तो फिर मूड ऑफ समझों। लगातार तेजी से चलते मेसेज समझ नहीं आते हैं की बधाई चल रही है या दुखद संदेश, सांत्वना चल रही है। बधाई-शुभकामनाओं के बीच दुखद संदेश बधाईयों के दालभात में जब आ जाता कंकड़ के समान मूसरचंद लगते है। सच में बड़ा आनंद आता हैं।

               - मदन वर्मा " माणिक "

                   इंदौर, मध्यप्रदेश