दोहा : निंदा न कीजिये

निंदा कभी न कीजिये,न समय को बरबाद।

पहले खुद को देखिये,तभी देखिये बाद।।


मन न मिले हट जाइये,मिले कीजिये बात।

मतलब का संसार है,मतलबि आदम जात।।


ज्यादा कभी न सोचिये, न रखिये कभी  आस।

शांत चित्त रहिये सदा,सुख आयेगा पास।।


कर्म के बीज बोइये,काटिये सुख के फल।

सहनशीलता लाइये,सुधार लीजिए कल।।


             रीमा सिन्हा (लखनऊ)