हनुमंत-रूप युग-सेवक

अखंड -मंडलाकार   भुवन,

प्रभु-राम व्यक्तित्व से  पावन।

श्री-चरण ध्यान-मय हनुमंत,

भक्ति संजीवनी करें वितरण।


युग-सेवक कार्य-कर्त्ता,जीवन

आदर्श प्रत्यक्ष देते वह  ज्ञान।

व्यक्ति महान है, दृढ़, सदय ,

वरे  विश्व  भाव  निज  प्राण।


अंजनि -सुत की सीख, करो

हेतु सफलता सतत  संघर्ष।

मन शांत रख,करो निष्काम

कर्म, रह अनुशासित सहर्ष।


लक्ष्य  निश्चित, रहो   सजग,

करो विलास-मैनाक का त्याग।

चुनौती-सुरसा सम्मुख हो, तो

लघु-विनम्रता से हो अनुराग।


पुस्तक के संग, व्यवहार ज्ञान,

कौशल  युवा करें  विस्तार।

खुद को करो मैं-भाव से अलग,

हम-तत्व ही  करता  उद्धार।


चरण- शरण आई, प्रभु रखना,

हर  युवा-सेवक का  मान।

करना सिया से निवेदन, कि

हर  कन्या हो  सत्य-महान।


@ मीरा भारती,

  पुणे, महाराष्ट्र।