नव संवत्सर में नवाचार

भारत - राष्ट्र में यह संवत्सर 

नूतन वर्ष का समारंभ।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही,

नव-चेतना उदित अरुणाभ।

मानव-अस्मिता महापर्व,

लाता तम से आत्म-प्रकाश।

ज्ञान व भक्ति पथ से स्पर्श

मानव-धर्म,सद्गुण-आकाश।

सृष्टि का प्रथम अरुणोदय,

जीवन उत्पत्ति संग ही यज्ञ,

आरम्भ होता, सेवा-वैराग्य

का,खोले जो मोक्ष-रहस्य।

गुड़ीपर्व है, आस्था-विश्वास,

के नव-ज्ञान का विजयोत्सव,

प्रभु राम के दिव्य अभिषेक

से समझें, चित्त-शुद्धि महत्व।

अन्तः,बाह्य की शुद्धता में

सत्कर्म से सज्जित हो नवाचार,

रवि-रश्मि,अनिल,जल,गगन 

से जुड़ते नव कौशल सुविचार।

 स्वरचित,अप्रकाशित

@ मीरा भारती

पुणे, महाराष्ट्र।