बूटों और गोटों से सजी धजी निराली...
लाल चुनर जो तुझे ओढाये ,
वो अखंड सौभाग्य का वरदान पाये।
तेरी चुनर नारी का सम्मान कहलाती,
माँ तेरी लाल चुनरी लगती बड़ी प्यारी...
ओढ़कर लाल चुनर जब तू इतराती,
शिव-शंभु के मन को अति सुहाती।
तेरी चुनरी सुख और समृद्धिशाली,
माँ तेरी लाल चुनरी लगती बड़ी प्यारी...
मैं भी पहनूँ लाल चुनर, लाल महावर लगाऊँ मैं,
इक वर दे माता,मरने पर रूप तेरा ही पाऊँ मैं।
तेरी चुनर ओढ़ बन जाऊँ मैं सौभाग्यशाली,
माँ तेरी लाल चुनरी लगती बड़ी प्यारी।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)