बाज़

पहले कभी तोता हुआ करते थे

पुराने शिकारी के पास

शायद अब वे उड़ गए या फिर

कर दिए कैद पिंजड़ों में

वैसे भी, नहीं कर सकते थे वे शिकार

उस तरह 

जैसा नया शिकारी चाहता है।


तोते को हटा कर अब

नए शिकारी ने रख लिया है बाज़

जैसा सऊदी के शेख पालते हैं

शिकार के लिए

लेकिन नये शिकारी ने पाल रखी है

बाज़ की कई सारी प्रजातियां

जो शिकारी के एक इशारे पर

उठा लेते हैं खरगोश, गिलहरी और चूहे।


इशारा पाते उठा लेते हैं मेमने और हिरण को

ठिकाना लगा देते है बूढ़े लोमड़ियों को

जिनसे थोड़ा भी लगता है शिकारी को डर

शिकारी के लिए खतरा बने चिड़ियों को

 नहीं छोड़ते बाज़

उठा कर हवा में पता ना,

कहां कर देते हैं लापता।


शायद मिल रही है अच्छी खुराक 

तुम्हें और तुम्हारे प्रजातियों को

तभी तो दूर से देख लेते हो अपने शिकार को

और बड़ी तेजी से मारते हो झपट्टा

वह दिन दूर नहीं जब तुम

घोषित किए जाओ राष्ट्रीय पक्षी।


रचना : डॉ.संतोष पटेल

नई दिल्ली