ऐ हवा

ऐ हवा जो तू चल रही हैं।

मेरा एक काम कर देगी।

क्या मेरे संदेश  को

माधव तक पहुँचा देगी।

पीर उठी मिलने की कान्हा से

क्या गिरधर को बता देगी।

ऐ हवा........


शीशे में भी अक्स मुझको

सांवरे का दिखता हैं

मेरा मन हुआ बावरा

कान्हा-कान्हा जपता हैं।

क्या तू मेरे गोपाल को

संदेश ये पहुँचा देगी।

ऐ हवा.......


गोविंद के सिवा अब

कुछ नहीं दिखता हैं

मन में नही मेरा कृष्णा

मेरी रूह में बसता हैं।

क्या मेरे  मोहन को बस

अंतर्मन की पीर बता देगी।

ऐ हवा.......


कवयित्री:-गरिमा गौतम 'गर्विता'

पता:-कोटा राजस्थान