इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, जानें पार्किंसन रोग के लक्षण और बचाव

हर साल 11 अप्रैल को 'World Parkinson Day' यानि ‘विश्व पार्किंसन दिवस’ मनाया जाता है। यह एक ब्रेन डिसऑर्डर है, जो ज्यादातर बुजुर्गावस्था में होती है। यह रोग दिमाग की विशिष्ट मस्तिष्क कोशिकाओं में नुकसान होने के कारण मूवमेंट पर असर डालती है। इसके कारण रोगी के हाथ-पैर, जबड़े में कंपन होने लगती है। शरीर का बैलेंस बिगड़ने से चलने-फिरने में मुश्किल हो जाती है। दुनियाभर लाखों की गिनती में लोग इस बीमारी से पीड़ित है। एक्सपर्ट अनुसार डेली डाइट में कुछ बदलाव करके इस रोग को मैनेज किया जा सकता है।

पुरुष होते अधिक प्रभावित

वैसे तो यह रोग पुरुष और महिलाएं दोनों को हो सकता है। मगर महिलाओं की तुलना में करीब 50 प्रतिशत से अधिक पुरुष इससे प्रभावित होते हैं। एक्सपर्ट अनुसार, इस रोग का शुरुआती दौर में जल्दी पता नहीं चलता है। मगर कुछ हफ्तों या महीनों में इसके लक्षण तेजी से बढ़ने लगते हैं।

पार्किंसन रोग के लक्षण

. हाथों-पैरों, जबड़े, सिर में कंपकंपी होना, खासतौर पर आराम करने के दौरान ऐसा होना

. सुस्ती व आलस रहना

. नींद ना आने की समस्या

. अंगों में कठोरता

. चलने-फिरने के दौरान संतुलन ना बनना

. अंगों की गतिविधियों में रुकावट आना

. डिप्रेशन और अन्य भावनात्मक परिवर्तन होना

. खाना चबाने, निगलने में दिक्कत होना

. बोलने में परेशानी होना

. मूत्र संबंधी समस्याएं

. कब्ज, त्वचा संबंधी समस्याएं होना

हर व्यक्ति में इस रोग के लक्षण अलग-अलग नजर आ सकते हैं। ऐसे में इनमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

पार्किंसन डिजीज के कारण

पार्किंसन रोग होने का कारण तो अभी तक पूरी तरह से पता नहीं लगाया है। वैसे तो यह कोई घातक बीमारी नहीं हैं। इसके इलाज के लिए दवाओं और सर्जरी का सहारा लिया जाता है। यह रोग दिमाग के एक क्षेत्र में तंत्रिका कोशिकाएं या न्यूरॉन्स नष्ट होने पर होता है। आमतौर पर ये न्यूरॉन्स डोपामाइन नामक एक मस्तिष्क रसायन का उत्पादन करते हैं। मगर जब ये न्यूरॉन्स मर जाने पर डोपामाइन का उत्पादन कम होने लगता है, जिसके कारण पार्किंसन रोग हो जाता है।

पार्किंसन रोग को मैनेज करने के उपाय

. डेली डाइट में एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन बी1, सी डी से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें।

. फिश ऑयल का सेवन करें।

. ओमेगा 3 फैटी एसिड तंत्रिका सूजन को कम करने, न्यूरोट्रांसमिशन को बढ़ाने और न्यूरोडीजेनरेशन को रोकने में मदद करता है। ऐसे में ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर चीजों खाएं। इस रोग से पीड़ित रोगी को डॉक्टर ओमेगा-3 सप्लीमेंट खाने की सलाह भी दे सकते हैं।

इन चीजों से रखें परहेज

. पार्किंसन रोग से पीड़ित लोगों को अधिक चीनी, नमक, प्रॉसेस्ड फूड्स, हाई कोलेस्ट्रॉल फूड्स, डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे चीज, लो-फैट मिल्क, दही, सैचुरेटेड फैट खाने से बचना चाहिए।

. इन मरीजों को निगलने और चबाने में परेशानी होने के कारण मांस खाने से बचना चाहिए।