महावीर जयन्ती गीता-ज्ञान

घर में गुरु-जन देते शिक्षा,

अन्य की जय से पूर्व,

साध लो स्वयं की विजय।

अपरिग्रह,अस्तेय,विनय।



कठोपनिषद-ऋषि कहते,

जो  मानव धर्म भाव -प्रेरित।

मन,पंच ज्ञानेंद्रिय-संग

होता आत्म-भाव में स्थित।


परमगति वह,मनुज,

प्राप्त करता स्वतः,

सरल, उद्योग रहित।

वह रहता आनंदित।


योग यह  शुभ का उदय,

और अशुभ का अवसान,

जो वीर महावीर का सत्य

साधन-संगीत आत्मश्रवण।


सब जीव हैं एकात्मिक,

संग जियो,जीने दो,

यह अतिवीर का संदेश,

निज रुचि, जो विचार,

सब को अमल करने दो।


न करो अति धन-संचय,

रखो परम धन का लक्ष्य।

कर मैत्री-भाव अभ्यास,

हो जाओ सर्व-क्षमा तन्मय।


गीता में अर्जुन करें प्रश्न,

कर्मयोग बड़ा या ज्ञान ?

संयम से आत्म-विजय

साध, बनो ईश-परायण

महावीर देते समाधान।


@ मीरा भारती,

  पुणे, महाराष्ट्र।