आज की नारी- अबला नहीं सबला है

कौन कहता है इस युग में, 

नारी अबला होती है

आज की दुनिया में नारी, 

सबला होती है


करुणा दया नम्रता ममता से, 

उसकी परख होती है

इसका मतलब यह ना समझना, 

वह कमजोर होती है


नारी, लक्ष्मी सरस्वती पार्वती ,

की रूप होती है

समय आने पर मां रणचंडी दुर्गा, 

काली का स्वरूप होती है


सम्मान करो नारी का वो, ममता प्यार 

वात्सल्य का स्वरूप होती है

अपमान न करना नारी का ,

आज की नारी सबला होती है


नारी ऐसी होती है, जो सभी रिश्तो को 

एक धागे में पिरोती है

मां बहन पत्नी बेटी बन, 

हर रिश्ते को संजयोती है


मत समझ अब अबला, 

नारी सबला होकर जीती है

हर क्षेत्र में नारी आगे, 

भारत कि अब यह नीति है-3


-कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, स्तंभकार, कानूनी लेखक, चिंतक, कवि एड किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र