कण कण में समाहित राम

राम समाहित कण कण में 

राम हीं हैं जग आधार।

जड़ चेतन और सभी चराचर के

 राम हीं तो हैं आधार।।


राम नाम एक शास्वत सत्य है

 जिससे बंधा पूरा संसार।

राम नाम के एकल डोर से 

बंधा हुआ पूरा संसार।।


अलग अलग रूप धारण कर

 दुष्ट दमन को तत्पर राम ।

कभी प्रत्यक्ष तो कभी परोक्ष

 रूप में दुष्ट दमन फिर करते राम।।


जब मर्यादा की बात उठे तो 

मर्यादा पुरूषोत्तम बनते राम।

समाज के बंचित पिछड़ों को

 सम्मान दिलाते स्वयं हीं राम।।


पत्थर की नारी को तारे 

चरण धुली जब पड़ते राम।

पाप और प्राश्चित पूरा होता 

जप कर केवल दो अक्षर का नाम।।


कभी कच्छप तो कभी मीन बन

  सृष्टि बचाते स्वयं ही राम।

कभी नरसिंह तो कभी वराह बन 

दुष्ट दमन भी करते राम।


बल कौशल की बात करें तो 

परशु लेकर आते स्वयं ही राम।

अगर दिखाना जग में लीला 

लीला धर भी बन जाते राम।।


चक्र सुदर्शन वाले राम 

 इस जग के पालन हारे राम।

रोम रोम में बसने वाले 

इस सृष्टि के कण कण में राम।।


 जग नौका अब डोल रहा है 

केवट बन  पार उतारो राम।

उतरन को अब क्या दें उतराई

लेने को बस आपका नाम।।।


श्री कमलेश झा

नगरपारा भागलपुर