प्रतिष्ठा का बोझ

 

समाज में लोगों के

देखा-देखी
काफी पैसे खर्च करके
' बड़ा घर ' बना लेते हैं
हम लोग,
( जरूरत चाहे हो ना उतने की )
फिर साफ-सफाई और
मरम्मत के समय
सोचते हैं कि गलती कर दी
बड़ा घर बनाकर।

समाज में लोगों के
देखा-देखी
काफी पैसे खर्च करके
' बड़ी गाड़ी ' खरीद लेते हैं
हम लोग,
( जरूरत चाहे हो ना उतनी की )
फिर रख-रखाव और
बीमे के समय
सोचते हैं कि गलती कर दी
बड़ी गाड़ी ले कर।

समाज में लोगों के
देखा-देखी
काफी पैसे खर्च करके
' समारोह ' बड़ी भव्यता से
मनाते लेते हैं हम लोग,
( जरूरत चाहे हो ना उतने खर्चे की )
फिर बाद में हिसाब-किताब
करते समय
सोचते हैं कि गलती कर दी
इतना खर्च करके।

समाज में लोगों के
देखा-देखी
काफी पैसे खर्च करके
बड़ी ' सुख-सुविधाएं '
जुटा लेते हैं हम लोग,
( जरूरत चाहे हो ना उतनी की )
फिर बीमारियां जब लगती हैं
शरीर को
सोचते हैं कि पैसे खर्च कर
बीमारी ले ली।

जितेन्द्र ' कबीर '
संपर्क सूत्र - 7018558314