जिले के प्रसिद्ध मंदिरों में मां खैरा भवानी का मंदिर विख्यात है
(जगपाल सिंह)

 गोण्डा । जनपद के प्रसिद्ध मन्दिरो में माँ खैराभवानी का मन्दिर विख्यात है। मुख्यालय से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन से उतरने के बाद रेलवे ओवरब्रिज के नीचे गांधी विद्यालय इण्टर कालेज के सामने से जाने का मार्ग बना हुआ है। मुख्य मंन्दिर में माँ  की प्रतिमा स्थापित है।किवदंन्तियो के अनुसार जहां पर माँ खैरा का मंन्दिर बना हुआ है। पहले एक जंगल हुआ करता था जहां पर खैर का पेड अधिकांश मात्रा में पाया जाता था। माँ खैरा भवानी की उत्पति भी खैर के एक बृक्ष से हुआ लोगो का ऐसा मानना है। धीरे-धीरे मां खैरा की पूजा करने के लिए आस्था का जनसैलाब उमडता रहा। 

इनसेट... ।।तीव्र प्रकाश पुंज देख पीछे हटे अग्रेज। खैरा भवानी के बारे में ऐसा मानना है कि जब गोण्डा में रेलवे का विस्तार हो रहा था।तो  उस समय गोण्डा से बलरामपुर की तरफ जाने वाली रेल लाइन का मार्ग इसी जंगल से होकर बनाया जाना था।अंग्रेज सरकार के इन्जीनियर जब रेलवे लाइन का निर्माण कराने जा रही थी तो इसी स्थान पर लगे खैरनामक वृक्ष को हटाने का प्रयास किया तो उसमें में से एक तीव्र वेग वाला प्रकाश भैरवी चक्र उतपन्न हुआ।प्रकाशपुंज देखकर अग्रेजो ने यहाँ से रेलवे लाईन निकालने का इरादा छोड दिया।यह जगह खैर के जंगलो से होती हुई खैरेश्वरी देवी के स्थान के नाम से प्रसिद्ध हो गई।जिन्हे हम सब आज माँखैरा भवानी के नाम से पुकारते है।

।।।।।श्रधालुओं के बोल

माँ खैराभवानी मंदिर में वैसे तो प्रतिदिन श्रधालुओं का आना रहता है।खास तौर नवरात्र के दिनों मां भक्तो की भीड रहती है।इमलिया गुरुदयाल की रहने वाली सुधा मिश्रा ने बताया कि नवरात्र में माँ के दर्शन से सभी कष्ट दूर हो जाते है।सुबह माँ की आरती के दौरान जो माँ से अपनी पीडा बताता है। उसकी पीडा अवश्य दूर हो जाती है।राजा बाबू ने बताया कि माँ खैराभवानी मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से माँ का दर्शन करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

 मां खैरा भवानी के मन्दिर में सोमवार और शूक्रवार को  श्रद्धालुओ का तांता लगना शरू हुआ। इटिथायोक का रहने वाला उत्कर्ष.ने बताया कि सब लोग बताते है कि माँ खैराभवानी मंदिर में जो भी मांगो माँ अवश्य पूरा करती है।हम भी आज माँ से मांगे है कि हम पढाई में सबसे तेज हो जाऊ।माँ खैराभवानी मंदिर के मंहत कैलाश नाथ गिरि ने बताया कि यह मंदिर वर्षो पुराना है लोगो की मान्यता है कि इसी स्थान पर खैरनामक पेड लगा था। जिसे अग्रेज पेड हटाकर यहाँ रेलवे लाईन हटाने का प्रयास किया था ।तब तीब्र वेग वाला प्रकाश भैरवी चक्र उत्पन्न हुआ जिसे देख अग्रेज यहाँ से रेलवे लाईन बिछाने का इरादा छोड दिया।उन्होने बताया कि यहाँ सोमवार और शूक्रवार को मेला लगता है।नवरात्र में हमेशा भक्तो की अपार भीड रहती है।