"आजमाने का मन है..."

दिल में चुपचाप छुपाकर बसाने का मन है ।

खुद रो कर भी तुम्हें खूब हंसाने का मन है ।।


छुपी नजरों से तुम्हें बताएं बगैर दिल चुराकर,

अपने दिल की एक कोने में सजाने का मन है ।


बहुत हुआ अकेले अकेले तड़प कर रोते हुए,

प्यार से साथ में अब प्रेम गीत गाने का मन है ।


सीधा सीधा कहता हूं, अब तो समझ जाओ,

दो दिलों की धड़कन को एक बनाने का मन है ।


कोई फरिश्ते आकर अब एक फैसला सुना दे, 

एक बार जिंदगी को फिर आजमाने का मन है ।


दिल में चुपचाप छुपाकर बसाने का मन है ।

खुद रो कर भी तुम्हें खूब हंसाने का मन है ।।


स्वरचित एवं मौलिक

मनोज शाह मानस

WZ- 548 B,

नारायण गांव,

नई दिल्ली 110028

मो. नं. 7982510985

manoj22shah@gmail.com


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