दिल में चुपचाप छुपाकर बसाने का मन है ।
खुद रो कर भी तुम्हें खूब हंसाने का मन है ।।
छुपी नजरों से तुम्हें बताएं बगैर दिल चुराकर,
अपने दिल की एक कोने में सजाने का मन है ।
बहुत हुआ अकेले अकेले तड़प कर रोते हुए,
प्यार से साथ में अब प्रेम गीत गाने का मन है ।
सीधा सीधा कहता हूं, अब तो समझ जाओ,
दो दिलों की धड़कन को एक बनाने का मन है ।
कोई फरिश्ते आकर अब एक फैसला सुना दे,
एक बार जिंदगी को फिर आजमाने का मन है ।
दिल में चुपचाप छुपाकर बसाने का मन है ।
खुद रो कर भी तुम्हें खूब हंसाने का मन है ।।
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज शाह मानस
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