गाँव-गली म बर-पिपर के,रुखुवा हे
जेकर थईहां लागे, सुग्घर झूलवा हे।
रुखुवा के छईहां म चउक चौपाला हे
जेमा सुम्मत सियान के बोलबाला हे।
गाँव के ए रुखराई, हमर पहिचान हे
इहीच म जीवजंतु के होथे बिहान हे।
ए हरियर-हरियर पेड़ हमर सिंगार हे
जल-जंगल-जमीन सबके आधार हे।
चल संजोय के एकर उदीम करना हे
ए सबो रुखराई ल बचा के रखना हे।
रुखराई ले ए जिनगी म खुशहाली हे
नही त भविष्य हर, हमर बदहाली हे।
आज हसदेव के जंगल हर कल्पत हे
इहां के जीवजन्तु मन सबो तड़फत हे।
ओकार गुहार शासन ल,नई सुनात हे
धीरे-धीरे ए जंगल हर, अब सिरात हे।
अइसन कटाई से पर्यावरण के हास हे
सम्मक जीव-जगत के, सत्यानास हे।
अशोक पटेल "आशु
मेघा,धमतरी छ्ग
९८२७८७४५७८