कितना जरूरी है पिता का होना,
नहीं पड़ता जिंदगी में पल पल रोना,
रोड पर झूमकर चल सकते हो,
किसी भी बात के लिए मचल सकते हो,,
बेफिक्र हो घर से निकल सकते हो,
पिता के एक इशारे पर संभल सकते हो,
वो गारंटी है सुरक्षा की,
वो बात करेंगे शिक्षा की,
कद्र करेंगे इच्छा अनिच्छा की,
पत्थर सा कठोर दिखकर भी
कोमल हृदय रखता है,
जब तक बच्चा घर न आ जाये
तब तक राह तकता है,
उनके रहने से हर बात की
निश्चिंतता रहती है,
बच्चे पास न होने पर
उनके नैनों से भी अश्रू बहती है,
भविष्य की चिंता में वो चिंतित रहता है,
परिवार चलाने के लिए हर कष्ट सहता है,
अकल्पनीय दुख हो सकता है
जब पिता का साया न हो,
ऐसा कोई बाप नहीं जिसने
बच्चों पर प्यार लुटाया न हो,
पिता ही है जो औलादों में संस्कार डालता है,
जिंदा रहते तक स्वयं जिम्मेदारी संभालता है।
राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ छग