राजस्थान के भाजपायी विधायक एक्शन में

जिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे निकले हैं, उनमें से एक राजस्थान भी है जहां भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर जीत हासिल की है। अभी वहां न तो सरकार बनी है और न ही मुख्यमंत्री चुने गये हैं, परन्तु उसके विधायक सक्रिय हो गये हैं। उनके एक विधायक कह रहे हैं कि वे माफियाओं को ढूंढ़-ढूंढकर नाश्ते में खायेंगे, तो एक अन्य विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के सभी नॉन वेज दुकानों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के लिये पुलिस अधिकारियों को फरमान जारी कर रहे हैं। 

विकास की बजाय उदयपुर के कन्हैयालाल की मौत के आधार पर भाजपा के पक्ष में जनादेश का सम्भवत: यही साइड इफेक्ट हो सकता है। भाजपा की जीत का यह तत्काल प्रभाव भी कहा जा सकता है। अगर भाजपा के विधायक और नेता अपनी सरकार बनने से ताकत पाकर अभी से ऐसी हरकतें कर रहे हैं तो आने वाले समय में और भी कई उदाहरण देखने को मिल सकते हैं। 

कहा जा सकता है कि पार्टी तो अभी शुरू हुई है, लेकिन ऐसे बयानों के चलते राज्य का सामाजिक माहौल कैसा बनेगा, उसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है। जयपुर के हवामहल से महज 600 वोटों से जीतने वाले बालमुकुंद आचार्य ने विधायक पद की शपथ लिये बिना ही सोमवार को स्थानीय पुलिस को आदेश दे दिया कि शाम तक उनके क्षेत्र के नॉन वेज के सारे ठेले हटाये जायें।

 उन्होंने पुलिस से कहा कि उनके लाइसेंसों की जांच की जाये और उन्हें दिखलाया जाये। आचार्य ने पुलिस अधिकारियों से यह भी पूछा कि वे स्वयं रिपोर्ट देंगे या उन्हें पुलिस स्टेशन आना पड़ेगा? राजस्थान मिली-जुली संस्कृति का प्रदेश है जहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं। जाहिर है कि उनकी जीवन शैलियों में भी भिन्नता है। खान-पान सम्बन्धी रुचियां भी अलग-अलग हैं।

 चाहे शाकाहार हो या मांसाहार- सभी धर्मों के लोगों की जीवन पद्धति में दोनों ही तरह के भोजन शामिल हैं। धाम पीठाधिश्वर कहे जाने वाले बालमुकुंद आचार्य का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वे अपने मोबाइल पर किसी अधिकारी को निर्देश देते हुए दिखाई दे रहे हैं कि चांदी की टकसाल रोड पर मांसाहार की दुकानें हटा दी जायें। इस सड़क पर जितने भी ठेले खुले में नॉन वेज पदार्थ बिक रहे हैं, वे दिखने नहीं चाहिये। 

इस वीडियो के वायरल होने के बाद उन्होंने सफाई दी कि वे किसी को धमका नहीं रहे हैं बल्कि निवेदन कर रहे हैं। फिर भी उन्होंने साफ किया कि उन्हें विधायक बनने का सर्टिफिकेट मिल गया है और अब वे किसी मुहूर्त का इंतजार नहीं करेंगे। उनका यह भी आरोप था कि कांग्रेस शासन में अधिकारी टालमटोल करते थे परन्तु वे इस बात को बर्दाश्त नहीं करेंगे। 

उनका कहना था कि उनके क्षेत्र के लोग खुले में मांस का व्यवसाय होते देखना पसंद नहीं करेंगे। उनकी शिकायत थी कि इसकी आड़ में गोमांस का भी कारोबार होता है। बालमुकुंद आचार्य अखिल भारतीय संत समाज की राजस्थान शाखा के प्रमुख हैं। वे हर ऐसे मामले में हिन्दुओं का पक्ष लेने पहुंचते हैं जहां किसी भी प्रकार का साम्प्रदायिक टकराव होता है। 

पिछले दिनों वे अपने एक और बयान के लिये चर्चा में आये थे जिसमें उन्होंने कहा था कि जयपुर के परकोटा क्षेत्र में बड़ी तादाद में मंदिर थे जिन्हें नष्ट किया जा चुका है। उन्होंने ऐसे सैकड़ों मंदिरों के उनके पास प्रमाण होने का भी दावा किया था। उन्होंने यह भी कहा कि अब वे हर रोज ऐसे ही एक मंदिर में जायेंगे जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया है। इन मंदिरों के पुनर्निर्माण या जीर्णोद्धार का भी उन्होंने संकल्प ले रखा है।

 देखना यह होगा कि विधायक बनने के बाद अपने बढ़े हुए रसूख व शक्तियों के साथ वे अपने अभियान को कैसा और किस तरह का अंजाम देते हैं। अब तो सरकार भी उनकी है और यह भी सम्भव है कि वहां बाबा बालकनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया जाये। फिर तो उनका संकल्प पूरा होकर ही रहेगा। उधर दूसरी तरफ जयपुर की ही झोटवाड़ा सीट पर जीते भाजपा नेता कर्नल (सेवानिवृत्त) राज्यवर्धन राठौड़ ने चेतावनी जारी कर दी है कि वे अब माफियाओं को ढूंढ-ढूंढकर निकालेंगे और नाश्ते में खाएंगे। उनका भी एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वे कहते हैं-मैं माफियाओं को नाश्ते में खाता हूं। 

जितने माफिया हैं वे कान खोलकर सुन लें कि अगर वे मुझको रोक सकते हैं तो रोक लें। अगर नहीं रोक सकते तो मैं माफियाओं को ढूंढ-ढूंढकर निकालूंगा, नाश्ते में खाऊंगा। हिम्मत है तो मुझे रोककर दिखा दो। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की निवर्तमान अशोक गहलोत सरकार ने लोगों के पक्ष में अनेक कल्याणकारी योजनाएं लागू की थीं। राज्य के लोगों के लिये 450 रुपये में रसोई गैस का सिलेंडर दिया जा रहा था। साथ ही अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने का भी ऐलान हुआ था। उनके द्वारा चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना भी लाई गई थी जिसके अंतर्गत किसी भी तरह की बीमारी का 50 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त किया जा रहा था। 

पहले यह राशि 25 लाख रुपये तक थी जिसे बाद में बढ़कर 50 लाख किया गया था। इसके मुकाबले भाजपा ने कन्हैयालाल नामक व्यक्ति की हत्या को प्रमुख मुद्दा बनाया था। साम्प्रदायिकता व ध्रुवीकरण को राजस्थान की जनता ने अपनी पसंद बतलाकर भाजपा के पक्ष में बड़ा समर्थन दिया। बड़ी बात नहीं अगर पहले दिन से ही भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक ऐसे बयान दे रहे हैंय क्योंकि वे जनता की पसंद को समझ गये हैं। फिर उन्हें अगला चुनाव भी तो जीतना है।