आधार छन्द-धारा, मापनी मुक्त मात्रिक,29 मात्रा 15- 14 पर यति।यति से पूर्व गाल।
लेकर विधि का युग संदेश, काल प्रभो सन्मुख आते।
" पूर्व योग माया उत्पन्न", "तनय आपका" चित लाते।।
लोक त्राण प्रण होता पूर्ण, परम धाम की स्मृति अब लें,
महा उदधि जब करते ध्यान, मधु- कैटभ प्राण गँवाते।
शेषनाग हों सेवा मुग्ध, हरित मेदिनी रसमय हों,
प्रजा हेतु लें प्रभु अवतार, स्वामि विरह हम दुख पाते।
भुवि सुखमय करती यश गान, प्रभु! भूतों में रह शोभें,
श्री रघुनाथ बिखेरें हास, काल! वचन मुझको भाते।
रघुपति सुमिरें भक्तों के भाव, काल हृदय प्रभु संबल था,
तन तज प्रभु जाते निज लोक, ध्यान करें हम यश गाते।
मीरा भारती,पटना, बिहार।