अपराध नहीं है लोकतंत्र में

“राजनीति में अपराधियों पर आपके क्या विचार हैं?”

“अपराध राजनीति को प्रोत्साहन नहीं दिया जाना चाहिए। अपराधियों को राजनीति में आने से रोकना होगा। उन्हें पूरी तरह दूर करना होगा। पवित्र और शुद्ध राजनीति ही हमारा लक्ष्य है।”

“यह मान लें कि आपने अपनी पार्टी के सदस्यों की सूची में अपराधियों को मौका ही नहीं दिया।”

“कोई भी अपराधी नहीं है हमारे प्रत्याशियों में। सभी सुशील सज्जन हैं भई!”

“लेकिन आपकी पार्टी के कुछ लोगों पर तो, कहा जा रहा है कि, बड़े-बड़े मामले हैं अपराध के।”

“ यह सब हमारी विरोधी पार्टियों की साजिश है। सच तो यह है कि अन्य पार्टियां ही अपराधियों को बगल में लिए फिर रही हैं।”

“यह भी मालूम हुआ कि ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया गया  जिस पर खून का इल्जाम है। इस पर आप क्या कहेंगे?”

“वह सब झूठ है। दो गुटों की लड़ाई में हमारे उस उम्मीदवार ने जाकर दोनों पक्षों को शांत कराने की कोशिश की। एक व्यक्ति के सीने में भोंके गए छुरे को निकालने लगे, तो बस उस पर झूठा मामला बना दिया।”

“गुंडा एक्ट, जमीन जायदादों पर कब्जा, झगड़े निपटाकर या पंचायत करके पैसे लेना, अपहरण, नकली शराब जैसे कई मामलों में आप की पार्टी के प्रत्याशियों पर एफ आई आर दर्ज हुए हैं न।”

“सिर्फ एफ आई आर क्यों देखते हैं आप? जनसेवा जो उन्होंने किया उसे देखिए।"

“तो आपके अनुसार यह सारा कुछ जनसेवा है जो आप के तथाकथित नेताओं ने किया।”

“जनता के लिए जो भी किया जाए, सेवा ही तो है। छोटी सेवा पर बड़े-बड़े बैनर लगाकर फ्लेक्सी द्वारा उसके प्रचार-प्रसार का जो मुद्दा उन्होंने उठाया। उस निस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें टिकट दिया गया है।”

“नेताओं द्वारा दलित और गरीबों पर हमले के कई मामले कोर्ट कचहरी में लंबित पड़े हैं। उन पर आपका ध्यान नहीं गया?”

“वे सारे मामले राजनीति से प्रेरित हैं। गरीबों को अन्न दान और वस्त्र दान का कार्यक्रम चल रहा था।  भीड़ बढ़ गई और हमारे नेताओं ने उन्हें तितर-बितर करने बेंत उठाए और दो-चार लगाया था कि हालात सामान्य हो। बाद में पता चला कि बेंत खाने वाले  दलित थे गरीब थे इसलिए मामले दर्ज हुए।“

“एक उम्मीदवार पर खून का मुकद्दमा, दूसरे पर बलात्कार का मामला, तीसरे पर दहेज हत्या के प्रकरण दर्ज हैं शायद? क्या कहना है आपका?”

“बहुत पहले हमारे उम्मीदवार कारों के झुंड के साथ जाते समय पीछे से तेज आती और इनके कॉन्वॉय को पीछे छोड़ जाती एंबुलेंस के ड्राइवर को रोका गया और उससे पूछा गया कि इतनी तेजी से क्यों चला रहे हो और ऐसे में एक्सिडेंट नहीं होगा? पूछने पर ड्राइवर ने रोगी और आपात स्थिति की बात बताई। बात बढ़ी और मारपीट हुआ।  ड्राइवर के सिर पर लाठी से मार कर खून का झूठा मामला दर्ज किया गया। सहायता के लिए आई महिला के सिर पर हाथ रख कर आशीष देते समय उसका आंचल गिर गया और फिर उसे बलात्कार का मामला बना दिया गया। बीवी से लड़ाई के वक्त धक्का-मुक्की में बीवी को धक्का लगा। वह चूल्हे पर गिरी और जलकर मर गई। इस पर दहेज हत्या का मामला बना दिया गया।”

“आपके प्रत्याशियों पर सरकारी संपत्ति की तोड़फोड़, जंगली जानवरों के शिकार के मामले क्या हैं?”

“सरकारी अस्पताल में रोगियों को फल बांटने गई हमारी महिला नेता को जब अंदर नहीं जाने दिया गया तो कार्यकर्ता गुस्से में थोड़ी बहुत तोड़फोड़ किए, जिससे अस्पताल के उपकरण, खिड़कियां, ऑपरेशन थिएटर को थोड़ा बहुत नुकसान हुआ। बस मामला बना दिया गया। ब्रेड, अंडे, फल बांटने के पीछे उस महिला नेता का सेवा भाव देखना था न कि मामला बनाना। एक और हमारे प्रत्याशी बड़े चाव से देसी मुर्गी का मांस खा रहे थे। उन्हें पकड़कर जंगली जानवरों के शिकार का मामला बना दिया गया।”

“गरीबों के पैसे लूटने वाले वसूल राजा हैं,  उनको भी आपने शायद टिकट दिया है?”

“गरीबों को मकान, राशन कार्ड, पेंशन, ऋण दिलाने के एवज में अगर कार्यकर्ताओं के बीयर और बिरयानी के लिए कुछ पैसे सेवा शुल्क के रूप में ले लिए तो उसे अपराध मानेंगे आप? लूट मानेंगे?”

“मतलब यह सारी जो बातें हमने कहीं हैं, आपकी नजर में जुर्म नहीं हैं? अपराध नहीं हैं?”

“हमारे नेताओं की जनसेवा के आगे यह सब क्या है? हमारे नेता समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। अपनी जाति, अपने वर्ग पर उनका भारी नियंत्रण है। अपने कार्यकर्ताओं पर अंकुश रखने वाले सज्जन व्यक्ति हैं।  अधिकार चलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उसे ही मापदंड मान कर जनता को चाहिए कि वोट दें।  इसलिए कि अपराध जो है वह नेताओं के नहीं हैं। आरोप लगाने वाले निम्न स्तरीय राजनीतिज्ञों के बनाए हुए अपराध हैं। लोकतंत्र की कसम ये अपराध नहीं हैं।”

डॉ0 टी0 महादेव राव 

विशाखपटनम आंध्र प्रदेश