गुस्से में रहतीं हैं,
मन में बसी रहती है।
पवित्र भाव से सना हुआ,
सबसे करीबी दोस्त बनकर,
मन को हर्षित कर,
खुशियां उड़ेल देती है।
गुस्से का इजहार नहीं,
अन्तर्मन में मौजूद,
स्वच्छ सन्देश संग,
खुशबू देने वाली ताकत है।
मां ही मां है,
दुनिया इस कारण से,
मां की करते इबादत है।
यह नवरंग मधुरिमा है,
सबसे खूबसूरत उपहार है,
ज़िन्दगी का जीवंत प्यार है,
खुशियां और संसार है,
उन्नत खोज है,
यह नहीं संयोग है,
यह दुनिया की हकीकत है,
मंजिल पाने की देती,
सबसे सटीक हिदायत है।
यह दुनिया की दस्तूर है,
मां सबसे पहले,
साथ देती तस्वीर है।
निकटता और आनन्द से,
लबालब भरी हुई रहती है।
मजबूती से बन्धन बांधकर,
बच्चों को सुरक्षित,
बचाने की सबसे बड़ी शक्ति है।
उम्मीदों पर खरा उतरना,
मां की निशानी है।
हर्ष और उल्लास संग,
दुख के वक्त में,
सबसे पहले खड़ा होकर,
सुरक्षित बचाकर,
घर ले जाने वाली,
किंवदंती नहीं,
स्पष्ट और सतरंगी कहानी है।
डॉ० अशोक,पटना, बिहार।