पूनम का चांद

खूबसूरत रात में मुंडेर पर बैठना

निहारना अनंत क्षितिज की ओर

तन्हाई में बातें करता मुस्कुराकर

मुझसे आसमां में पूनम का चांद

कुछ अनकहे किस्सों को कहती

जिनको सबसे रखती मैं छिपाकर

मेरी सारी बातें ध्यान से सुन लेता

शीतल चांदनी बिखेरे पूनम का चांद

जीवन तो एक सुख दुःख का संगम

कहीं है खुशियां और कहीं पर मातम

अमावस्या का सघन अंधेरा चीरकर

नभ में खूब चमकता पूनम का चांद

हम भी इससे सीखें कला जीने की

कभी ना थकता अनवरत यह चलता

रुकता नहीं तिमिर से हार मानकर

समय पर सदा निकले पूनम का चांद

स्वरचित एवं मौलिक

अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश