श्रेय लेने देने का खेल
जारी रहता है अनवरत,
मरते को जीवन देता डॉक्टर
तब चौक जाते हैं यकबयक,
कि मरीज ठीक होकर
धन्यवाद करता है
उन मिथकीय पात्रों का
जो किसी ने देखा नहीं,
कण कण में है कह तो देंगे
पर किसी से कभी मिला नहीं,
विज्ञान लगा है रातदिन
मनमाफिक जिंदगी जीने का
मौका देने के लिए,
पर एन वक्त आ जाता है
जादू श्रेय लेने के लिए,
ये तथाकथित कभी चुनावों में
किसी को क्यों नहीं जिताते,
प्रकट हो किसी को
प्रतिनिधि क्यों नहीं बनाते,
चुनने का अधिकार है
सिर्फ और सिर्फ मतदाता को,
चुनते नहीं देखा कभी
खुदा या विधाता को,
श्रेय का जो असली हक़दार है
उन्हें दिया जाना चाहिए,
क्योंकि वे सारी जिंदगी जूझते हैं
लोगों को खुशनुमा जीवन देने के लिए,
मगर उनके पास समय नहीं होता
आगे आ श्रेय लेने के लिए।
राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ छग