मुझे समझना है उन अल्फाजों को,
जो लबों से कभी निकले नही।
मुझे जानना है उन अल्फाजों को,
जो मेरी कलम ने लिखे नही।
मैं तो पत्थर की पीर लिख देती,
पर तुमने राम सा हृदय रखा नही।
एक नही दो बार अग्नि परीक्षा दे देती,
पर तुम मर्यादा पुरुषोत्तम बने नही।
कहा सुना तो जग समझता है,
पर तुम भी अनकहा समझे नही ।
गरिमा राकेश गौतम 'गर्विता'
कोटा,राजस्थान ।