काकोरी काण्ड दिवस पर याद किए गए युग के देवता


आज के दिन हुई थी पहली सामूहिक फांसी

सहारनपुर। सौहार्द की शिक्षा सरकारी स्तर से नहीं बल्कि जिम्मेदार लोगों और सामाजिक संगठनों के द्वारा बेहतर दी जा सकती है यह विचार यह मोक्षायतन  इंटरनेशनल योग संस्थान, राष्ट्र वंदना मिशन और नेशन बिल्डर्स एकेडमी द्वारा आयोजित कार्यक्रम वतन के वास्ते को संबोधित करते हुए योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने व्यक्त किए। 

उन्होंने कहा कि आज बहुत कम लोग ये जानते हैं कि काकोरी काण्ड के तार सहारनपुर से जुड़े थे और स्वाधीनता संग्राम के दीवानों को दी गई यह सामूहिक फांसी थी जिसमे रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला ख़ां , ठार्कु रोशन सिंह और राजेंद्र लाहड़ी को अलग अलग जेलों में अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटका दिया गया। डरी हुई ब्रिटिश सरकार ने राजेंद्र लाहड़ी को तो दो दिन पहले ही फांसी दे दी थी।

 साधकसंघ के  सचिव नंद किशोर शर्मा ने गर्व के साथ याद किया कि  संस्थान के राष्ट्र वंदना मिशन के राष्ट्रीय संयोजक विद्यार्णव शर्मा ने न सिर्फ काकोरी शहीदों को लेकर भारत की बलिदानी परंपरा पर युग के देवता ग्रंथ की रचना की बल्कि अनेक शहरों में राष्ट्र वंदना चौक और राष्ट्र वंदना भवन और शहीद स्मारक बनाए। तत्कालीन राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने युग के देवता पुस्तक पर अपनी टिप्पणी भेजी थी।  

यहां मौजूद अनेक बार पुरस्कार पाने वाले पुलिस अधिकारी और राष्ट्र वंदना मिशन के संस्थापक विद्यार्णव शर्मा ने कहा कि हमारे क्रांतिकारी जातियों से ऊपर उठकर अपनी पहचान सिर्फ भारतीय ही रखते थे। विद्यार्णव शर्मा ने कहा कि  युवा पीढ़ी को अपनी महान परंपराओं को जानने की प्यास है शायद इसीलिए 2004 में प्रकाशित युग के देवता ग्रंथ के अनेक संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। 

वरिष्ठ साधक मुकेश शर्मा ने युग के देवता ग्रंथ से काकोरी काण्ड से जुड़े अनेक मर्मस्पर्शी संस्मरण भी पढ़ कर सुनाए। आयोजन मे मुख्यतरू डॉ0 आर के यादव, सुभाष वर्मा, योगाचार्या अनीता शर्मा, कंचन तेहरी, डॉ0 आयुष धवन, सुरभि मदान, नारायण वर्मा आदि मौजूद रहे। उपस्थित संस्थान साधकों और नेशन बिल्डर्स ने शहीदों को मौन श्रद्धांजलि के साथ उनकी याद ताजा रखने के लिए अभिवादन में हेलो के बजाय वंदे मातरम और जय हिंद बोलने का संकल्प भी लिया और सिर पर राष्ट्रीय अस्मिता की प्रतीक पगड़ी बांधने का अभ्यास भी किया।