आदमी

कभी मशहूर तो कभी बदनाम आदमी...! 

परेशानियों का बोझ लिए खड़ा आदमी...!! 


दिन के उजालों में अपने आंसू छिपाता आदमी...! 

रात के अंधकार में खुद को तम में भीगाता आदमी...!! 


मंजिल की चाह में जवानी को मरता आदमी...! 

सफर का आनंद लिए बिना जीता आदमी...!! 


कभी जागा तो कभी सोया आदमी...! 

खुद में ही खोया खोया आदमी... 


बेवफाई के बाज़ार में वफ़ा की गुहार लगता आदमी...! 

अपनी औकात से ज्यादा खुद को दिखाता आदमी...!! 


अपनी गलतियों पर पर्दा डालता आदमी...! 

ओरों की गलतियों को बेपर्दा करता आदमी...!! 


कभी मशहूर तो कभी बदनाम आदमी...! 

परेशानियों का बोझ लिए खड़ा आदमी...!! 


लेखिका:- 

आरती सिरसाट

बुरहानपुर मध्यप्रदेश