दीपो का त्योहार

दीपो का त्योहार आ गया, चमक रही है आज धरा गगन सी

लक्ष्मी गणेश विराजमान हैं घर में

हर नारी दिखती आज लक्ष्मी सी

चढ़ रहीं है कुमुद् की कलियाँ

नव वस्त्र जल पान भी

सज गए हैं गली मोहल्ले, 

छोटे बड़े दुकान भी

बच्चे बूढ़े सभी को दिवाली का उत्साह है, 

घर के बाहर बनी है रंगोली

फूलझड़ीयों की बहार

सुख समृद्धि देती माँ लक्ष्मी 

जो करता मन से आराधना, 

जल रहे हैं घी के दीपक

घर देहरी और अंगना, 

 दिये की लौ तरह मन को भी रौशन कर जाना 

इस दिवाली मिटा देना कडवाहट दिल से, अपनो संग त्योहार मनाना।। 

स्वरचित् और मौलिक

सरिता श्रीवास्तव 'सृजन'

अनूपपुर मध्यप्रदेश